राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का छोटा सा गांव कुमर्दा अब अपनी मूर्तिकला के लिए देशभर में चर्चा का विषय बन रहा है. यहां के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई मां दुर्गा की प्रतिमाएं न केवल छत्तीसगढ़ के शहरों में, बल्कि मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों में भी अपनी खास पहचान बना रही हैं. कुमर्दा की मूर्तियों की बढ़ती मांग इस बात का सबूत है कि स्थानीय कारीगरों की कला और मेहनत अब राष्ट्रीय स्तर पर सराहना बटोर रही है.

 स्थानीय मूर्तिकार देव साहू ने बताया कि उनकी बनाई मूर्तियों के लिए ऑर्डर एक से दो महीने पहले ही बुक हो जाते हैं. सीमित संसाधनों और समय की कमी के कारण वे केवल तयशुदा संख्या में ही मूर्तियां बना पाते हैं. हर मूर्ति में भाव, शुद्धता और सौंदर्य का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे इनकी गुणवत्ता और आकर्षण बरकरार रहता है. कुमर्दा के मूर्तिकारों की कला और समर्पण ने गांव को छत्तीसगढ़ में मूर्तिकला के उभरते हुए केंद्र के रूप में स्थापित किया है.

 इस बार दुर्गा महोत्सव के अवसर पर कुमर्दा की मूर्तियों की मांग रायपुर, दुर्ग, भिलाई और राजनांदगांव जैसे शहरों के अलावा मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, बालाघाट और गुना जिलों तक पहुंची है. खासकर गुना जिले में पिछले दो सालों से श्रद्धालु इन मूर्तियों को मंगवाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन समय पर ऑर्डर न मिलने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था. इस बार समय पर संपर्क होने से विशेष रूप से तैयार की गई मूर्ति गुना भेजी जा रही है, जिससे वहां के भक्तों में उत्साह का माहौल है.

 कुमर्दा के मूर्तिकारों की कला में आस्था, संस्कृति और मेहनत का अनूठा संगम देखने को मिलता है. उनकी बनाई गणेश, दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि अब अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो रही हैं. मूर्तिकारों का कहना है कि उनकी कला को मिल रही मान्यता से गांव का नाम देशभर में गूंज रहा है, और लोग अब उनसे सीधे संपर्क करने लगे हैं. यह कुमर्दा के लिए गर्व का विषय है कि उनकी मिट्टी की खुशबू अब देश के कोने-कोने तक पहुंच रही है.