Kushinagar News. सड़क निर्माण को शायद सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार वाले क्षेत्र के तौर पर देखा जाता है. यही वजह है कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता को लेकर हमेशा संशय बना रहता है. यह आम है कि भारी राशि खर्च करके कोई सड़क तैयार की जाती है और बारिश या वाहनों के दबाव से कुछ ही समय बाद उसके टूटने की खबर आ जाती है.

यह बात किसी से छिपी बात नहीं है कि सड़क निर्माण की निविदा निकलने से लेकर सामग्री की खरीद, निर्माण और रख-रखाव तक भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार पसरा हुआ है. जिसकी बानगी यहां देखने को मिल रही है. खड्डा पनियहवा मार्ग एक दसक तक पूरी तरह गढ्ढे में तब्दील थी इस मार्ग पर चलना मुश्किल हो गया था आम लोग इस सड़क को लेकर जनप्रतिनिधियों को कटघरे में खड़ा कर रहे थे, लेकिन इस सड़क का निर्माण नही हो पा रहा था. 2022 विधानसभा चुनाव के बाद सड़क निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई और कुछ महीने बाद यह सड़क निर्माण कार्य शुरू हो गया, लेकिन सड़क निर्माण कार्य में इसके गुणवत्ता पर सवाल खड़ा हो गया और लोग परेशान हैं.

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इस भीषण गर्मी में इस सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है वजह यह है कि निर्माणाधीन सड़क पर उड़ रही धूल और उखड़ रही गिट्टियों से लोगों का चलना दुश्वार हो गया है. पिछले आठ-दस सालों के दौरान जिले भर में सड़कों का जाल बिछाने की कोशिश की गई, बहुत सारे दूरदराज के इलाकों को मुख्य सड़कों से जोड़ा गया. खासकर जब से प्रधानमंत्री सड़क निर्माण योजना की शुरुआत हुई, उसके बाद इस क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल हुई. खड्डा पनियहवा मार्ग जैसे सड़क का निर्माण सम्भव हो सका, लेकिन सवाल है कि इतने बड़े पैमाने पर सड़क निर्माण के साथ क्या गुणवत्ता का भी खयाल रखा गया? इसका अंदाजा सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि कई जगहों पर महज दो-तीन साल पहले की बनी हुई सड़कों को भी आज इस कदर दुर्दशा में देखा जा सकता है कि उस पर सहज तरीके से वाहन न चल पाएं.

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सड़क निर्माण के लिए सब कुछ नाप-तौल कर बजट बनाया जाता है, मानक तय किए जाते हैं और राशि जारी की जाती है. लेकिन संबंधित महकमे के अधिकारियों से लेकर निचले स्तर के ठेकेदार तक भ्रष्ट तरीके से इसी राशि में से हिस्सा बंटाने के फेर में इस बात का खयाल रखना जरूरी नहीं समझते कि इसका सड़क की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ेगा. बचे हुए पैसे में काम पूरा करने की कोशिश का नतीजा यह होता है कि जिस सड़क को बनाने में जितनी और जिस स्तर की सामग्री का उपयोग होना चाहिए उसमें कभी मामूली तो कभी ज्यादा कटौती कर दी जाती है. ऐसा शायद इसलिए हो पाता है कि राशि जारी करने से लेकर निर्माण की समूची प्रक्रिया के पूरा होने और फिर देखरेख पर निगरानी तंत्र की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं है. ग्रामीण इलाकों में साधारण लोगों के बीच इस बात को लेकर जागरूकता कम है कि उनके उपयोग के लिए जो सड़क बनाई जा रही है, सड़क निर्माण यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि सड़कें केवल सुगम आवाजाही का जरिया नहीं, बल्कि वे किसी इलाके से लेकर समूचे देश की अर्थव्यवस्था का सबसे मुख्य आधार होती हैं.

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