जशपुर. बगीचा जनपद क्षेत्र के ग्राम रनपुर का आश्रित ग्राम कुरुमधोड़ा गांव जो आज भी विकास की बाट जो रहा है. स्थानीय जनप्रनिधि पिछले दो साल से इस गांव को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जिले के अधिकारियों का चक्कर काट रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद आज तक यह गांव विकास से कोसो दूर है.

प्रदेश में ग्रामीणों के हित में नीति और योजनाएं तो बनाई है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता की वजह से यहां विकास नहीं पहुंच पाया है. यहां के करीब 300 आदिवासी परिवार इस आस में बैठे है कि शायद मुख्यमंत्री ही उनकी गुहार सुन लें.

समस्या सुनने लोगों के बीच पहुंचे थे कलेक्टर

बता दें कि हाल ही में जिले के कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने सभी जनप्रतिनिधियों से ऑनलाइन संवाद किया था. ताकि ग्रामीणों की समस्याओं से सीधा रूबरू हो सकें. इस दौरान उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से बारी बारी जनहित की समस्याओं को सुना और अपने अधिकारियों को कड़े निर्देश देकर फील्ड में जाकर जनहित में निर्माण कार्यो की फाइल बनाकर भेजने को कहा. स्थानीय जनपद सदस्य ने गांव की ओर से अधिकारियों को कुछ मांगों को लेकर आवेदन भी दिया था. जिसके बाद फाइल तो भेज दी गई, लेकिन संवाद के महीनों बाद भी आज तक उन कार्यो पर स्वीकृति नहीं मिल पाई है. इसका प्रमाण ग्रामीणों द्वारा दिया गया आवेदन है.

300 आदिवासी परिवार मीलों पैदल चलने को मजबूर

यहां के करीब 300 आदिवासी परिवार को अपने पंचायत में राशन, पेंशन सहित अन्य सुविधा का लाभ लेने के लिए 16 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. ग्रामीणों की मांग पर स्थानीय जनप्रतिनिधि ने जिन कार्यो की मांग किया है वह 4 किलोमीटर मिट्टीमुरुम रोड और मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए एक तटबंध निर्माण कार्य की है. लेकिन बरसात से पहले यह काम न हो पाया तो ग्रामीणों को 16 किलोमीटर की दूरी तय करना होगा. या फिर बरसात से पहले 3 माह के लिए राशन पानी लेकर टापू में रहने को मजबूर होना पड़ेगा.

जल सत्याग्रह करेंगे ग्रामीण

बरसात के दिनों में ग्रामीणों की हालत इस कदर खराब रहती है कि यदि किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाए और समय पर इनको इलाज न मिले तो कई बार उनकी मौत भी हो जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि बरसात से पहले काम नहीं होता है तो हम अपने जनप्रनिधि के साथ जल सत्याग्रह करने को मजबूर होंगे.

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