शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। मध्य प्रदश के पांढुर्णा जिले को बने एक साल हो गया, लेकिन अब तक किसी भी महत्वपूर्ण सरकारी विभाग का स्थायी कार्यालय नहीं बनाया गया है। जिले के लोगों को सरकारी कार्यों के लिए अब भी 100 किलोमीटर दूर छिंदवाड़ा जाना पड़ता है। यह स्थिति पांढुर्णा जिले के लिए शर्मनाक है। प्रशासनिक कार्यों के लिए लोगों की इस परेशानी का समाधान होते नहीं दिख रहा।

शिवराज सिंह ने जिला बनाया, मोहन सरकार की उदासीनता


शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पांढुर्णा को जिला बनाकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया था, लेकिन मुख्यमंत्री मोहन सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं किया। न तो सरकारी कार्यालयों के निर्माण के लिए फंड जारी किया गया और न ही मुख्य अधिकारियों की नियुक्ति हुई। विकास की यह धीमी गति पांढुर्णा वासियों के लिए घोर निराशा का कारण बनी हुई है।

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सांसद की भूमिका पर सवाल


पांढुर्णा जिले के सांसद विवेक बंटी साहू ने चुनाव के समय जिले के विकास का वादा किया था, लेकिन अब वह अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ते नजर आ रहे हैं। पांढुर्णा जिले से उन्हें सबसे अधिक मतों से जीत दिलाई गई थी, फिर भी सांसद महोदय ने अब तक फंड की कोई व्यवस्था नहीं की। अगर वह चाहते, तो फंड की समस्या का हल निकल सकता था। क्या पांढुर्णा के सांसद अब जिले के विकास से विमुख हो गए हैं?

जर-जर भवनों में बैठने को मजबूर कलेक्टर


पांढुर्णा के कलेक्टर और अन्य अधिकारी जिले के पुराने और खस्ताहाल भवनों में काम करने को मजबूर हैं। इसी तरह पुलिस अधीक्षक एसडीओपी के कार्यलय में बैठने विवश है। न तो कोई नया भवन बनाया गया और न ही कोई सुविधाजनक कार्यालय की व्यवस्था की गई। इस प्रकार की उपेक्षा से जिले के विकास की गति अवरुद्ध हो रही है और अधिकारी भी असुविधा महसूस कर रहे हैं।

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आरटीओ नंबर में भी भेदभाव, पांढुर्णा को नहीं मिला अधिकार


मध्यप्रदेश में पांढुर्णा और मैहर दोनों को एक साथ जिला बनाया गया था। जबकि मैहर को नया आरटीओ नंबर मिल चुका है, पांढुर्णा अब तक इससे वंचित है। यह स्पष्ट करता है कि पांढुर्णा जिले के साथ मोहन सरकार भेदभाव कर रही है। आरटीओ नंबर न मिलने से जिले के वाहन मालिकों को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

राजस्व में अग्रणी, फिर भी फंड नहीं


पांढुर्णा जिला मध्यप्रदेश के सबसे अधिक राजस्व पैदा करने वाले जिलों में से एक है। इसके बावजूद मोहन सरकार ने इस जिले के विकास के लिए बजट में से एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी। यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या पांढुर्णा के साथ राज्य सरकार भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है?

नेताओं की निष्क्रियता से जनता परेशान


पांढुर्णा जिले के स्थानीय नेता भी जिले के विकास के लिए गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। चुनावों के दौरान बड़े-बड़े वादे करने वाले जनप्रतिनिधि अब हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। विकास कार्यों में उनकी निष्क्रियता से जिले की जनता आक्रोशित है। नेतागणों की इस उदासीनता के चलते पांढुर्णा जिले का विकास पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है।

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सांसद का वादा अब तक अधूरा


सांसद बनने के बाद विवेक बंटी साहू ने पांढुर्णा जिले का दौरा कर आभार व्यक्त किया था और वादा किया था कि उनका पहला कर्तव्य पांढुर्णा का विकास होगा। लेकिन, अब तक उनके द्वारा किए गए किसी भी वादे का क्रियान्वयन नहीं हुआ है। सांसद साहू अब अपने वादों से मुकरते नजर आ रहे हैं।

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कब सुधरेगी स्थिति


पांढुर्णा जिले की जनता के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि आखिर कब उनके जिले का समुचित विकास होगा? कब सरकारी कार्यालय बनेंगे, और कब उन्हें छिंदवाड़ा जाने की आवश्यकता नहीं होगी? क्या मोहन सरकार पांढुर्णा को उसका उचित स्थान देगी या यह उपेक्षा यूं ही जारी रहेगी.?

पांढुर्णा विधायक नीलेश उईके का कहना है कि, कमलनाथ सरकार होती तो सर्वाधिक फंड पांढुर्णा/छिंदवाड़ा जिले को ही मिलता। अब यह भाजपा सरकार भाजपा जनप्रतिनिधियों की नहीं सुन रही। हम तो विपक्ष में बैठे है। कांग्रेस विधायकों को से सरकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार है।

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