प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। राज्य सरकार भले ही 5 हजार दिन के जश्न में डूबी हुई है लेकिन हकीकत ये भी है कि आज भी कई जगह ऐसी है जहां स्कूल भवन ही नहीं है। कहीं अगर है भी तो वहां शिक्षक ही नहीं है।

इसमें भी अगर मुख्यमंत्री के गृह जिले में जब ऐसा हाल हो तो आप समझ सकते हैं कि पूरे प्रदेश का हाल क्या होगा। हम बात कर रहे हैं पथर्रा की जहां मात्र दो शिक्षकों के भरोसे हाई स्कूल संचालित किया जा रहा है। यहां 9 वीं कक्षा में 68 और 10 वीं में 19 बच्चे हैं, स्कूल खुले 3 माह बीत चुका है।

लेकिन यहां पर सिर्फ दो ही विषय के शिक्षक हैं वह भी अंग्रेजी और विज्ञान के बाकि के विषय पढ़ाने वाला यहां कोई भी शिक्षक नहीं है। जिसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। छात्र जैसे-तैसे बाकि के विषयों की पढ़ाई गाइड इत्यादि से कर भी लेंगे लेकिन गणित विषय को लेकर वे ज्यादा चिंतित हैं।

चिंतित इसलिए भी कि बाकि के विषय को याद किया जा सकता है लेकिन गणित एक ऐसा विषय है जिसे याद नहीं किया जा सकता। ये बच्चे पथर्रा और उसके आस-पास के गांवों से हैं जब गांव में स्कूल खुली तो जैसे उनके सपनों को पंख लग गया हो। कोई इंजीनियर तो कोई डॉक्टर, कोई वैज्ञानिक तो कोई सेना के उच्च पदों में जाने का सपना संजो लिया था।

लेकिन शासन-प्रशासन की इस लापरवाही से उनका सपना अब टूटता हुआ सा महसूस हो रहा है। लिहाजा ये बच्चे मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां वे कलेक्टर से अपने सपनों को बिखरने से बचाने की गुहार लगाई।