लद्दाख में हुई हिंसा के बाद सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक पर भीड़ को उकसाने, हिंसा भड़काने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसी बीच इस मामले में पाकिस्तान का एंगल भी सामने आ रहा है। लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसडी सिंह जामवाल ने आज दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वांगचुक की पाकिस्तान यात्राओं पर सवाल उठाए।

पाकिस्तान से जुड़ाव का आरोप

लद्दाख के पुलिस महानिदेशक एस।डी। सिंह जमवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सोनम वांगचुक पाकिस्तान में डॉन के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे और उन पर केंद्र के साथ राज्य के दर्जे की बातचीत को विफल करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने वांगचुक की गिरफ्तारी से जुड़े एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट (पीआईओ) की गिरफ्तारी और कार्यकर्ता के पाकिस्तानी लोगों के संपर्क में होने के सुरागों के बारे में भी जानकारी दी। DGP जामवाल ने कहा कि हमने कुछ दिन पहले पाकिस्तान इंटेलीजेंस ऑपरेटिव (PIO) के एक सदस्य को पकड़ा था। वह वांगचुक से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान भेज रहा था। उधर हिंसा को लेकर डीजीपी ने कहा कि, हमने सेल्फ डिफेंस में फायरिंग की, नहीं तो पूरा लेह जल जाता।

शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लद्दाख के नेताओं को छह अक्टूबर को बातचीत के एक नए दौर के लिए आमंत्रित किया है। जामवाल ने बताया कि वांगचुक जानते थे कि दोनों पक्षों के बीच 25 सितंबर को एक अनौपचारिक बैठक होने वाली है, इसके बावजूद उन्होंने अपना अनशन जारी रखा। जामवाल ने आरोप लगाया, ‘‘अनौपचारिक बैठक से ठीक एक दिन पहले, भड़काऊ वीडियो और बयानों के जरिए शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई। इसी के चलते बुधवार को हिंसा हुई, जिसमें कई जानें गईं।”

बता दें कि, लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा में 4 युवकों की मौत हुई थी और 80 लोग घायल हुए थे, जिनमें 40 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। अब तक 60 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। लेह में तीन दिन के कर्फ्यू के बाद शनिवार दोपहर चार घंटे के लिए ढील दी गई। वांगचुक को शुक्रवार दोपहर पुलिस ने उनके गांव उल्याकटोपो से गिरफ्तार किया। उन्हें एयरलिफ्ट कर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया है, जिसके तहत लंबे समय तक बिना जमानत हिरासत में रखा जा सकता है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार किया

सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जब वे लेह नहीं पहुंचे तो आयोजकों को शक हुआ। बाद में गिरफ्तारी की खबर मिली। इसके बावजूद प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। आयोजकों ने माना, हिंसा उन युवाओं से हुई जो ‘काबू से बाहर’ हो गए थे, लेकिन इसमें किसी विदेशी ताकत का हाथ नहीं है।

लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस और CRPF ने न तो पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया और न ही चेतावनी के लिए गोलियां चलाईं, बल्कि सीधे अंधाधुंध फायरिंग की।

वांगचुक को पहले से गिरफ्तारी का अंदेशा था

सोनम वांगचुक को पहले से अंदेशा था कि सरकार उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। एक दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि “इस मुद्दे पर कभी भी गिरफ्तार होना पड़े तो मुझे खुशी होगी।” लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी से माहौल शांत होने के बजाय और बिगड़ सकता है।

माना जा रहा है कि इससे लद्दाख के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच चल रही बातचीत पर भी असर पड़ सकता है। वांगचुक पिछले पांच साल से लद्दाख के अधिकारों की लड़ाई का बड़ा चेहरा रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि वांगचुक हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m