नई दिल्ली. यूपी के लखीमपुर खीरी में तिकुनिया हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 26 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली आशीष मिश्रा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाई कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए 26 सितंबर तक जवाब दाखिल करने के लिए आदेशित किया है.
केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर 2021 को किसानों पर कथित गाड़ी चढ़ाने का आरोप है. इस मामले में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हुई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि लखीमपुर मामले में चार किसानों की मौत हुई थी और आरोपी की कार वहां मौजूद थी. यह सबसे बड़ा सबूत है और यह मामला जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है. आशीष मिश्रा पर 3 अक्टूबर 2021 को हुई उस घटना के लिए हत्या का केस चल रहा है, जिसमें लखीमपुर खीरी में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हुई थी.
आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर उन किसानों पर अपनी गाड़ी चढ़ा दी जो केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे. पुलिस ने 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और फरवरी 2022 को कोर्ट ने आशीष मिश्रा को जमानत दे दी गई थी. आशीष मिश्रा ने एक बार फिर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखया था, क्योंकि कोर्ट के पहले आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2022 में खारिज कर दिया था और उनकी जमानत याचिका पर नए सिरे से विचार करने का आदेश दिया था. शीर्ष अदालत ने पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के 10 फरवरी, 2022 के आदेश को रद्द कर दिया था और मामले को वापस हाई कोर्ट में भेज दिया था.
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शीर्ष अदालत ने कहा था कि उच्च न्यायालय के आदेश को कायम नहीं रखा जा सकता है और इसे रद्द किया जाना चाहिए. अदालत ने आशीष मिश्रा को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था. लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज राकेश कुमार जैन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था.
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