बागपत. उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा में लाक्षागृह पर चल रहे विवाद पर करीब 53 वर्षो के बाद कोर्ट की सुनवाई मंगलवार को टल गई. 1970 से इस मामले की सुनवाई हो रही है. बागपत जिला एवं सत्र न्यायालय में सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम की कोर्ट मंगलवार को इस लंबे समय से चल रहे मामले पर अपना फैसला सुनाने वाली थी. इस फैसले पर हिंदू एवं मुस्लिम दोनों पक्षों की नजरें टिकी हुई थी, लेकिन अंतिम समय में सुनवाई टाल दी गई.
टीले को लेकर हिंदू व मुस्लिम दोनो समुदायों के बीच पिछले 53 वर्षो से विवाद चल रहा है. बताया जाता है कि वर्ष 1970 में मेरठ के सरधना की कोर्ट में बरनावा निवासी मुकीम खान ने वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी की हैसियत से एक वाद दायर कराया था. लाक्षागृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाते हुए दावा किया था कि बरनावा स्थित लाक्षागृह टीले पर शेख बदरुद्दीन की मजार और एक बड़ा कब्रिस्तान मौजूद है.
मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यहां बदरुद्दीन नामक संत की मजार थी, जिसे बाद में हटा दिया गया और यहां उनका कब्रिस्तान है. इसी 108 बीघे जमीन पर पांडव कालीन एक सुरंग है जिसके आधार पर दावा किया जाता है कि इसी सुरंग के जरिए पांडव लाक्षागृह से बचकर भागे थे.
इसे भी पढ़ें: ऑनलाइन गेम का नशा : पबजी खेलने से मना करने पर राज्यमंत्री के PRO के बेटे ने की आत्महत्या, फंदे से लटका मिला शव
इतिहासकार अमित राय बताते हैं कि इस जगह पर जो अधिकतर खुदाई हुई है और उसमें जो साक्ष्य मिले हैं. वे सभी हजारों साल पुराने हैं, जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि यहां पर मिले हुए ज्यादातर सबूत हिंदू सभ्यता के ज्यादा करीब है.
इसे भी पढ़ें: रोटी के लिए छोटे भाई ने बड़े भाई का किया कत्ल, शव को रस्सी से बांधकर 50 मीटर तक घसीटा, बिखरा था खून ही खून
छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक