दिलशाद अहमद. सूरजपुर. जिले के झिलमिली थाना क्षेत्र में आने वाले बैजनाथपारा के पटवारी रामनारायण दुबे को पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने इस कदर प्रताड़ित किया कि पटवारी को सुसाइड कर लेना पड़ा. छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय औऱ सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली वेबसाइट लल्लूराम डॉट कॉम ने फैसला किया है कि हम पटवारी रामनारायण दुबे की मौत के जिम्मेदार लोगों को उनके अंजाम तक जरुर पहुंचाएंगे. भले ही वो पुलिस के ताकतवर अधिकारी हों या फिर सत्ता तंत्र में बैठे भ्रष्ट लोग. हम डीजीपी एएन उपाध्याय से सीधे सवाल करते हैं कि डीजीपी साहब एक पटवारी की जान लेने के आरोपी सब इंस्पेक्टर औऱ अन्य जिम्मेदार लोग कब दंडित होंगे.

पटवारी रामनारायण दुबे की मौत की खबर पुलिस का निर्मम चेहरा दिखाती है. आज भी भ्रष्टाचार के आरोपों से बुरी तरह जूझ रही पुलिस ऐसे में लोगों में कैसे भरोसा कायम रख पाएगी. पटवारी रामनारायण दुबे ने बकायदा सुसाइड नोट लिखकर झिलमिली थाने में पदस्थ सब-इंस्पेक्टर औऱ एक अन्य पटवारी पर 6 लाख रुपये लेने का आरोप लगाया था. इसके बाद उन्होंने जहर खा लिया जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई औऱ उन्हें आनन-फानन में इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां आखिरकार कल देर रात उनकी मौत हो गई. पटवारी रामनारायण दुबे ने अपने सुसाइड नोट में झिलमिली थाने की एएसआई सुनीता भारद्वाज, पटवारी चंचल शर्मा औऱ एक अन्य व्यक्ति नीरज तायल को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि एएसआई उन्हें लगातार तंग कर रही हैं औऱ पैसे की मांग कर रही हैं.

उनके जहर खा लेने के बाद जब घटना ने गंभीर रुप ले लिया तो आनन-फानन में जिले के एसपी डीआर आंचला ने  झिलमिली एसडीओपी मनोज धुर्वे को जांच अधिकारी नियुक्त कर उनसे मामले की जांच करने को कहा था. अभी जांच जारी थी कि पटवारी राम नारायण दुबे की दुखद मौत हो गई. उधर दुबे की मौत के बाद पुलिस अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए आनन-फानन में आरोपी एएसआई सुनीता भारद्वाज को लाइन अटैच कर दिया. इधर ताजा जानकारी मिलने तक एएसआई सुनीता भारद्वाज, पटवारी चंचल शर्मा और नीरज तायल के खिलाफ धारा 306 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. अभी तक पुलिस ने न तो किसी को गिरफ्तार किया है और न ही आरोपी एएसआई के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई की है. हमारा सवाल पुलिस के उच्चाधिकारियों से है कि आखिर कोई भी इंसान यूं ही तो जहर नहीं खाएगा, तब जबकि उसके पीछे पूरा परिवार हो और अगर कोई सरकारी मुलाजिम किसी पुलिसकर्मी पर खुलेआम आरोप लगा रहा है तो ऐसे में पुलिस के आला अधिकारियों को क्या जनता का भरोसा पुलिस में कायम रखने के लिए संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए ?

हम सूबे के डीजीपी साहब से सवाल करते हैं कि आखिर आरोप वर्दी पर लगे हैं, आरोप संगीन हैं, ऐसे में क्या राज्य पुलिस के मुखिया घटना के जिम्मेदार सब-इंस्पेक्टर को दंडित करेंगे? क्या वो पीड़ित पटवारी के परिजनों को न्याय दिलाएंगे और उनकी मौत के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाएंगे?