रायपुर. छत्तीसगढ़ में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के इस्तेमाल के लिए लाए गए हेलीकाप्टर को एविएशन कंपनी द्वारा वापस दिल्ली बुलाने के मामले में नया मोड़ आ गया है. लल्लूराम डॉट कॉम को भेजे गए डाक्यूमेंट्स में कंपनी ने बकायदा लगाए गए आरोपों पर अपनी सफाई दी है.

कंपनी ने सबूतों के साथ अपना पक्ष पेश करते हुए कहा है कि उसके द्वारा बकायदा एग्रीमेंट के जरिए दुर्ग के पायल इंटरप्राइजेज को हेलीकाप्टर मुहैय्या कराय़ा गया था. हेलीकाप्टर मुहैय्या कराने के वक्त कंपनी ने एग्रीमेंट में साफ-साफ शर्तों को स्पष्ट किया था. जिनका कि पालन दोनों पक्षों को करना था लेकिन पायल इंटरप्राइजेज द्वारा शर्तों का पालन न करने के बाद ही कंपनी को ये कदम उठाना पड़ा. कंपनी ने अपने दावे के समर्थन में बकायदा सबूत के तौर पर एग्रीमेंट की कापी औऱ अन्य जरूरी दस्तावेज भी लल्लूराम डॉट कॉम को उपलब्ध कराए हैं.

दिल्ली स्थित सार एविएशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने पायल ट्रैवेल्स के साथ अपने समझौते का एग्रीमेंट जारी किया है. जिसमें बेल-206बी3 हेलीकाप्टर को क्रू मेंबर्स के साथ ट्रैवल एजेंसी को किराए पर दिया गया था. जिसका किराया 50,000 रुपये प्रतिघंटा प्लस सर्विस टैक्स था. जो कि 12 महीनों के लिए किया गया था. ये एग्रीमेंट 7 जून 2017 से लेकर 6 जून 2018 के लिए किया गया था.

खास बात ये है कि इस एग्रीमेंट के आर्टिकल 3 के प्वाइंट 3.1 में साफ-साफ लिखा गया है कि पायल इंटरप्राइजेज को प्रतिघंटा चार्जेस के अलावा, क्रू मेंबर की सेलरी, मेंटीनेंस, फ्यूल औऱ अन्य चार्जेज देने होंगे. कंपनी ने अपने एग्रीमेंट में साफ-साफ लिखा है कि 60 लाख रुपये वो सर्विस टैक्स के साथ हेलीकाप्टर किराए पर लेने वाली कंपनी से बतौर एडवांस लेगी.

सार एविएशन सर्विसेज ने कहा है कि पायल इंटरप्राइजेज ने कंपनी के साथ किए गए एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है जिसके बाद ही कंपनी ने हेलीकाप्टर को वापस दिल्ली बुला लिया है. पायल इंटरप्राइजेज ने न तो क्रू मेंबर्स के रहने-खाने की व्यवस्था की औऱ न ही हेलीकाप्टर से जुड़े अन्य खर्चे और टैक्स भरे. जिसके चलते कंपनी को ये कदम उठाना पड़ा.

कंपनी ने अपनी सफाई में कहा है कि उसने सारी शर्तें एग्रीमेंट में दर्ज कर पायल इंटरप्राइजेज के साथ अनुबंध किय़ा था. अब उसके द्वारा जो भी आरोप जा रहे हैं वो निराधार औऱ बेबुनियाद हैं. वैसे कंपनी के बकायदा कागजातों और सबूतों के साथ सामने आने के बाद अब साफ हो गया है कि कहीं न कहीं तो एग्रीमेंट के नियमों का उल्लंघन एक पक्ष द्वारा किया गया है जिसके चलते ये स्थिति पैदा हुई.

कंपनी द्वारा लल्लूराम डॉट कॉम को भेजे गए डाक्यूमेंट्स, जिनके द्वारा करार किया गया था औऱ जिनमें सेवा शर्तों के बारे में साफ-साफ लिखा गया है.