हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर में नगर निगम में हुए 100 करोड़ से ज्यादा के फर्जी बिल घोटाले मामले में lalluram.com परत दर परत दस्तावेजों के साथ नए-नए खुलासे लगातार करता आ रहा है। इस इन्वेस्टिगेशन स्टोरी के पार्ट 3 में पुलिस द्वारा बनाए गए मुख्य आरोपी अभय राठौर की पत्नी शालिनी सिंह राठौड़ ने न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र पेश किया है। जिसमें घोटाले का मास्टरमाइंड इंदौर के पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह और पूर्व निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को बताया है। शपथ पत्र में लिखा इंदौर नगर निगम में फर्जी दस्तावेज बनाकर करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष आवेदन संग्रहित करने के मास्टरमाइंड 2015 में तत्कालीन आयुक्त मनीष सिंह है। जिन्होंने अपर आयुक्त रहे रिटायर्ड देवेंद्र सिंह को वर्षों तक सेवा वृद्धि मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव इकबाल बेस द्वारा अनेक शिकायतों को दरकिनार कर दिलवाई गई।  

lalluram.com Investigation: नगर निगम फर्जी बिल घोटाले में नया मोड़, अभय राठौर ने FIR के 6 दिन बाद इंदौर पुलिस कमिश्नर को लिखा था पत्र, फरियादी को ही बताया मुख्य आरोपी

देवेंद्र सिंह द्वारा स्वीकृत एवं भुगतान किए गए दस्तावेज जब्त करने पर तथ्य सिद्ध होते हैं। इस पूरे घोटाले को शपथ पत्र में 2015 से करना बताया है। इसके साथ ही शपथ पत्र में तत्कालीन अपर आयुक्त संदीप सोनी दिनेश एवं सीवरेज विभाग के कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता, सेवक राम पाटीदार मुख्य सहायक केंद्रीय प्रसाद रहेंगे। कार्यालय अधीक्षक सतीश बाढ़ के बिल क्लर्क देवेंद्र सिंह रिटायर्ड अप्रयुक्त रोहन सक्सेना तत्कालीन अप्रयुक्त देवघर दरबार अप्रयुक्त को पार्टी बनाया है। इसके साथ ही 16 करोड़ रुपए के घोटाले की एक फाइल जिसे lalluram.com ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उस फाइल को भी लगाकर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। हालांकि इंदौर जिला कोर्ट से अभय राठौर की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। लेकिन अभय राठौर के एडवोकेट इसे जल्द हाई कोर्ट में दायर कर घोटाले के मुख्य किरदारों को कटघरे में खड़ा करने की बात कह रहे हैं। 

स्पेशल इन्वेस्टिगेशन स्टोरी पार्ट 2: नगर निगम में एक और घोटाले की फाइल, वर्क आर्डर से 5 दिन पहले निकाल लिए करोड़ों, 1 लाख के एस्टीमेट को एक करोड़ में बदला

मनीष सिंह और प्रतिभा पाल ने कैसे अपने पावर अप्रयुक्त को दिए

मध्यप्रदेश नगरपालिका मेयर – इन काउंसिल / प्रेसीडेंट-इन- काउंसिल के कामकाज का संचालन तथा प्राधिकारियों की शक्तियां एव कर्तव्य नियम, 1998 के वित्तीय अधिकारों संबंधी नियम 5 के अनुसार इंदौर नगर निगम के आयुक्त को रूपये 2 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति एवं भुगतान के अधिकार दिये गये है। मनीष सिंह और प्रतिभा पाल के द्वारा अपने आयुक्त पद के अधिकार अधीनस्थ अपर आयुक्तगण को देकर अवैध धन अर्जन में अपराधी नहीं बन सकने की सुरक्षा सुनिश्चित की होने से सभी फर्जी भुगतानों की में स्वीकृतियां एवं भुगतान अपर आयुक्तगण ही करते रहे है। तथा उसी अनुक्रम प्रदर्श-2 लगायत प्रदर्श-5 में उल्लेखित करोडो रुपयों का भुगतान प्रत्येक बिल रूपये 2 करोड़ से कागज बनवाकर भुगतान अपर आयुक्त श्री संदीप सोनी ने करवाये है, जिसका ज्वलंत उदाहरण दिनांक 10 / 03 / 2021 तक मेसर्स जे.एम. रमाणी एण्ड कंपनी, सूरत को रूपये 16,07,05,917 / – फर्जी बिल्स बनवाकर भुगतान किये जाने के अपराधीगण के नाम चतुर्थ बिल रूपये 1,67,07,569/- का विवरण एवं दस्तावेज संलग्न है, जिसमें सफल होने के बाद ही संदीप सोनी, सुनील गुप्ता आदि ने प्रदर्श – 2 लगायत प्रदर्श-5 में उल्लेखित अपराध कारित किये है। 

इंदौर नगर निगम में पदस्थ अधिकारियों ने वल्लभ भवन भोपाल में पदस्थ जे.एल.एन.यु.आर.एग रोल से संगनमत होकर त्रुटीपूर्ण सीवरेज पाइप लाइन डालने के कारण त्रुटियों एवं लेवल सुधारने का रेक्टीफिकेशन करने हेतु निम्नांकित धनराशियां इन्दौर नगर निगम ने खर्च की जा चुकी है तथा दोषी ठेकेदारों से वसुली करने का दायित्व का पालन अवैध प्रतिफल लेकर नहीं करवाया गया है।

1- एम.ओ.जी. लाइन क्षेत्र 53,43,881 /-
2 पीपल्याहाना क्षेत्र 1,69,89,188/-
3 शास्त्री ब्रिज से पार्क रोड तक 16,76,45,083/-
4. बी. आर. टी. एस. क्षेत्र में 7.31,85,002/-
5 पश्चिम क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर 7,42,52,640/-
6. मध्य क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर 52,88,63,921/-
7. द्रविड नगर क्षेत्र 3.26 करोड
8 कण्डलपुरा 2.80 करोड
9 पूर्वी क्षेत्र के अन्य भागों में 8,07,09,583/-

इन्दौर नगर निगम द्वारा अपने अधिकारियों के भ्रष्टाचारों के अपराधों हेतु जांच संस्थित की है, परन्तु वर्षो से मलाईदार पदों पर पदस्थापना एवं भ्रष्टाचार में पारंगत प्राप्त अपराधियों के प्रभाव में संस्थित जांच में उजागर अपराधियों के विरूध्द कार्यवाही नहीं की गई है, क्योंकि इन्दौर नगर निगम में पदस्थ अधिकारी गण अपराधियों से सामान मत होकर सत्य एवं कुत्ररक्षित दस्तावेज बना कर करोड रुपए प्रतिवर्ष अवैध लाभ अर्जित करने में संलग्न है। 

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