हेमंत शर्मा, इंदौर। सीवरेज लाइन में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले की इंदौर लोकायुक्त में भी शिकायत हुई थी। जिसे तत्कालीन निगम आयुक्त की हर्षिका सिंह ने हवाला देते हुए सीवेज लाइन की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश जारी किया था। lalluram.com के पास विभागीय जांच का वह आदेश पहुंचा।
प्रदेश के सबसे बहुचर्चित हनी ट्रिप मामले
इस विभागीय जांच में मध्य प्रदेश के सबसे बहुचर्चित हनी ट्रिप मामले में फरियादी रहे हरभजन सिंह का नाम भी शामिल है जो उस वक्त तत्कालीन अधीक्षण यंत्री, इनके साथ ही, ज्ञानेन्द्र सिंह जादौन तत्कालीन परियोजना अधिकारी, पूर्वी क्षेत्र, संजीव श्रीवास्तव, परियोजना अधिकारी पूर्वी क्षेत्र, अशोक शिवहरे तत्कालीन, उपयंत्री, पूर्वी क्षेत्र, प्रदीप मंडलोई तत्कालीन उपयंत्री पूर्वी क्षेत्र, हेमन्त बाड़गे, तत्कालीन उपयंत्री पूर्वी क्षेत्र, डी. आर. लोधी परियोजना अधिकारी, मध्य क्षेत्र, सुभाषसिंह चौहान, तत्कालीन प्रभारी सहायक यंत्री, मध्य क्षेत्र, सुरेश शर्मा, तत्कालीन उपयंत्री, मध्य क्षेत्र, मनोज रघुवंशी, तत्कालीन उपयंत्री मध्य क्षेत्र, पी.सी. जैन, तत्कालीन उपयंत्री, मध्य क्षेत्र, अनूप गोयल तत्कालीन परियोजना अधिकारी, पश्चिम क्षेत्र, गीता अरोरा तत्कालीन परियोजना अधिकारी, पश्चिम क्षेत्र, अश्विन जनवदे तत्कालीन सहायक यंत्री पश्चिम क्षेत्र, अनूप ठाकुर, तत्कालीन उपयंत्री, पश्चिम क्षेत्र, एम. के. खरे, तत्कालीन उपयंत्री, पश्चिम क्षेत्र एवं विनोद महाजन, तत्कालीन उपयंत्री पश्चिम क्षेत्र थे आदेश में लिखा है।
कार्य में विभिन्न प्रकार की कमियां एवं त्रुटियां
एन.एन.यू.आर.एम. प्रोजेक्ट, नगर पालिक निगम, इन्दौर के अंतर्गत ईस्ट, वेस्ट सेन्ट्रल झोनो एवं बी. आर. टी. एस. में बिछायी गई प्रायमरी लाइनों के कंडीशन असेंसमेंट सर्वे में पाये गये लेवल डिफरेंस, गैप एवं अवरोध के कारण सीवर लाइनों में उचित फ्लो नहीं होने से सीवर नदी/नालों में मिलने के दृष्टिगत एन.जी.टी. एवं जलशक्ति मिशन के वॉटर प्लस प्रोटोकाल के निर्देशों के परिपालन में उक्त लाइनों के विभिन्न स्थानों पर किये गये रेक्टिफिकेशन के संबंध में लोकायुक्त में प्रकरण क्रमांक 45 / ई / 2022 पंजीबद्ध हुआ है। इन अधिकारियों उत्तरदायित्व था जिसका निर्वहन इनके द्वारा ठीक से नहीं किये जाने से कार्य में विभिन्न प्रकार की कमियां एवं त्रुटियां परिलक्षित हुई है।
लोकायुक्त जांच भी पेंडिंग
इनके उक्त कृत्य के लिये म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 14 के प्रावधानान्तर्गत विभागीय जांच संस्थित की जाती है। लेकिन इस आदेश के बाद भी जांच की जद में रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ अब तक विभागीय जांच आगे नहीं बढ़ सकी है। ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि करोड़ों रुपए के घोटाले करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश दिए गए थे लेकिन अब तक उन मामलों में भी विभागीय जांच पेंडिंग पड़ी हुई है। जिस पर अब तक किसी की नजर नहीं पड़ी। सूत्रों के मुताबिक विभागीय जांच के बाद पॉलीटिकल प्रेशर आने के बाद इन जांचों को आगे नहीं बढ़ाया गया इसके साथ ही लोकायुक्त में भी जांच पूरी तरह से पेंडिंग पड़ी हुई है।
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