हेमंत, शर्मा, इंदौर। बुरहानपुर के नेपा लिमिटेड कंपनी में अनियमितताएं चरम पर हैं। इस अनियमितताओं का शिकार अब नेपा के युवा भी होते हुए नजर आ रहे हैं। जिसमें से कई लोगों को अब तक कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और बचे हुए युवाओं को एक-एक महीने का कॉन्ट्रैक्ट देकर उलझाए रखा है। इन युवाओं को यह तक नहीं पता कि कब उनकी नौकरी चली जाएगी। हर महीने इनका एक नया कॉन्ट्रैक्ट बनता है और फिर एक महीने उसी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं। इसके साथ ही कंपनी के अधिकारियों की कुछ कर्मचारियों पर इतनी असीम कृपा बनी हुई है कि जिसे 12 हजार में जॉइनिंग दी, उस कर्मचारी की सैलरी सीधा 1 साल में 30 हजार रुपए तक पहुंचा दिया। लेकिन वहीं पर 16 सालों से कम कर रहे कुछ कर्मचारियों की सैलरी जस की तस है। 

अब सवाल खड़ा होता है कि इन पर कंपनी के अधिकारियों की विशेष असीम कृपा क्यों बनी हुई है ? इन्हें ज्यादा इंक्रीमेंट क्यों दे दिया गया? कुछ कर्मचारी तो ऐसे हैं जिनका इंक्रीमेंट ही नहीं हुआ है। अब नेपानगर में बेरोजगार युवाओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। जो युवा नेपा लिमिटेड में काम कर रहे हैं वह इस परेशानी से बाहर नहीं आ पा रहे हैं कि अगले महीने उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होगा या नहीं। नेपा लिमिटेड में सही आदमी, सही काम और सही इंक्रीमेंट किया जाए तो शायद कोई बेरोजगार नहीं होना। और आने वाले समय में अगर सही तरीके से कंपनी को संचालित किया गया तो कंपनी फायदे में भी आ सकती है। इसके साथ ही कंपनी के कर्मचारियों में भी आपसी मतभेद नहीं रहेगा। जिससे कर्मचारी भी मन लगाकर कंपनी के प्रति ईमानदारी से अपना काम करते हुए नजर आएंगे। 

लेकिन कंपनी के अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी और कंपनी में कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम करते थे और उन्हें वहां 12 हज़ार सैलरी मिलती थी। इस कंपनी में उन्हें सीधे ऑनरोल रिक्रूटमेंट कर 40 हज़ार की सैलरी का लाभ दिलवाया जा रहा है। वहीं इस कंपनी में नेपानगर के वह बेरोजगार युवा आज भी धक्का खाते हुए नजर आ रहे हैं जो पिछले लंबे समय से नेपा लिमिटेड के लिए अपना आधा जीवन अर्पित कर चुके हैं। नेपानगर के युवाओं को आज बेरोजगारी का इतना सामना करना पड़ रहा है कि या तो वे दिहाड़ी पर काम करने के लिए मजबूर है या फिर नेपानगर से पलायन कर रहे हैं।

 सूत्रों के मुताबिक कंपनी के पुराने सीएमडी सौरव देव ने कंपनी के 190 एम्पलाई को लगभग 3 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी दी थी। लेकिन नए कमांडर ने 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने से पहले ही एक साल बाद 190 कर्मचारियों का एक महीने का कॉन्ट्रैक्ट शुरू कर दिया और पुराने ऑर्डर को निरस्त कर दिया। 

60 साल के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को रखा जा रहा लेकिन नेपानगर का युवा बेरोजगार

अब यह सवाल भी उठता है कि संविदा आधार और कलेक्टर रेट पर कार्यरत मेहनती युवाओं को क्यों बेरोजगार किया जा रहा है? वहीं 60 साल पर सेवानिवृत कर्मचारियों को लगातार रखा जा रहा है। एचआर विभाग में जब एमबीए एचआर की युवा संविदा अधिकारी  सौम्या श्रुति को ज्वाइन किए लगभग दो साल हो चुके हैं। ऐसे में पिछले एक साल से रिटायर हो चुके रामविलास रघुवंशी को मोटी सैलरी पर लगातार एचआर विभाग में संविदा के तहत रखा गया है। नेपा मिल के प्रोजेक्ट के दौरान सीटसन इंडिया में पावर हाउस में काम करने वाले पीयूष सावकारे के लिए अलग से संविदा की भर्ती निकालकर सीधे 40 हजार तथा अन्य सुविधाओं में रखा गया है। जबकि 16 साल से काम करने वाले डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ जिन्होंने कोविड़ के खतरे में भी अपनी सेवाएं दीं, उन्हें मात्र 3 माह का एक्सटेंशन वो भी नाम मात्र की सैलरी पर बिना किसी अन्य सुविधा के दिया गया है। नेपा लिमिटेड में नियम और कायदे अलग अलग कर्मचारी पर अलग अलग क्यों?

कंपनी में है राइट मैन राइट जॉब की आवश्यकता

नेपा लिमिटेड में राइट मैन, राइट जॉब की आवश्यकता है। जो लोग अपने मूल पद छोड़कर दूसरे पदों पर पदस्थ हैं, अगर वे अपने मूल पद पर ही काम करेंगे तो कंपनी का इसमें फायदा होगा। जैसे अजय गोयल जो कि मैकेनिकल इंजीनियर और मटेरियल मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त है, इन्हे 5 इंक्रीमेंट का लाभ देकर मेंटेनेंस में अच्छा काम करने के लिए जीएम बनाया गया। उन्हें अब एडमिन में बिठाकर रखा हुआ है। जबकि मशीन मेंटेनेंस के नाम पर रो रही है और इसी कारण प्रोडक्शन ठप पड़ा हुआ है। 

राम अलागेशन जो कंपनी में चीफ जनरल मैनेजर के ओहदे पर प्रमोट किए गए, उन्हे इस कठिन परिस्थिति में एडमिन में कमर्शियल और मार्केटिंग में जिम्मेदारी दी जा सकती है। विनीत कुमार इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज के अधिकारी होकर पहली बार भारत सरकार ने उन्हें फुल टाइम विजिलेंस ऑफिसर के रूप में नेपा भेजा है। लेकिन साहब अपनी सीट और एसी से हिलते भी नहीं हैं। उन्होंने इंस्ट्रूमेंट विभाग के अनुभवी मैनेजर कानाडे को अलग से अपने पास अपने काम के लिए बुला रखा है।  कारखाने में टेक्निकल अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी है और यहां चीफ विजिलेंस अधिकारी खुद तो वित्तीय अपराधों की जांच में आनाकानी कर रहे हैं। क्योंकि वे खुद अपनी सुख सुविधाओं पर कंपनी को अभी तक 27 लाख घाटे में डाल चुके हैं। वहीं दूसरी ओर फैक्ट्री में एक राउंड तक नहीं लगाते और न ही वहां की गतिविधियों को विजिलेंस के हिसाब से देखते हैं।

2 लाख रुपए माह सैलरी में  एडमिन कार्यालय की अटेंडेंस ही उनका एक मात्र काम रह गया है। सीएन वर्मा पावर हाउस के इंजीनियर हैं। अब विकास रेड्डी को जब सारी सुविधाओं और मोटी सैलरी के साथ परमानेंट नियुक्ति देकर चीफ फाइनेंस अधिकारी बना ही दिया है तो वर्मा को केवल विकास रेड्डी सपोर्ट में क्यों रखा गया है। जबकि पावर हाउस मैनपावर की कमी से लगातार जूझ रहा है। जैसे तैसे करके महेंद्र केशरी आधा दिन पावर हाउस तो आधा दिन एचआर संभाल रहे हैं। 

ऐसे में यदि वर्मा पावर हाउस चले जाते हैं तो उनके अनुभव से पावर हाउस को सपोर्ट हो सकता है। नेपा नर्सरी से राय एक साल से रिटायर है लेकिन उन्हे अभी भी रखा हुआ है। जबकि उनकी जगह किसी युवा कर्मी को रखा जा सकता है। कुछ ऐसे लोग है जिन्हे 10 से 20 साल हो गए हैं लेकिन वे पूरी तरह से एक ही जगह पर प्रमोशन लेकर बैठे हुए हैं। उनका कभी कोई ट्रांसफर नहीं हुआ है। हालांकि अब इस लल्लूराम डॉट कॉम की खबर के बाद जरूर उन अधिकारियों के पेट में दर्द होगा जो मलाईदार पदों पर सालों से जमे हुए हैं और आर्थिक लाभ का फायदा उठा रहे हैं। हालांकि ये पूरा जांच का विषय है। अगर इस मामले की सीबीआई जांच होती है तो करोड़ों का घोटाला उजागर हो सकता है।

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