हेमंत शर्मा, इंदौर। आरटीओ में भ्रष्टाचार को लेकर जो सवाल लंबे समय से उठते रहे थे, उन्हें पहली बार किसी ने खुलकर कैमरे पर पकड़ने की हिम्मत दिखाई है। Lalluram.com की टीम ने जब अंदर घुसकर सच्चाई का सामना कराया, तो विभाग की पोल इस कदर खुली कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर ही बड़ा सवाल खड़ा हो गया। इंदौर आरटीओ में जिस तरीके से एजेंटों का राज चलता दिखा, जिन नियमों को रौंदकर सरकारी कामकाज एजेंटों और एक होमगार्ड के हवाले छोड़ा गया, उनसे साफ हो गया कि यहां सालों से कौन खेल चल रहा है और किसकी शह पर चल रहा है। ट्रैक पर ट्रायल लेने वाले असली अधिकारी गायब थे और उनकी कुर्सियों पर अनधिकृत लोग बैठे मिले। यह न केवल कानूनन गलत है, बल्कि यह पूरे परिवहन प्रशासन को शर्मसार करने वाला मामला है।
सब कुछ एजेंटों के जरिए चल रहा
स्टिंग की शुरुआत ही एक धमाकेदार खुलासे से होती है। जैसे ही टीम टू-व्हीलर ट्रायल ट्रैक पर पहुंची, वहां एक एजेंट ट्रायल ले रहा था। उसका नाम विनोद था। टीम ने जैसे ही उससे पूछा कि “आप कौन हैं, क्या आप ट्रायल ले रहे है ?”—विनोद बिना हिचक कह देता है कि वह ट्रायल लेता है और यही उसका काम है। उसने यह भी बताया कि फोर-व्हीलर का ट्रायल सामने चल रहा है। यह बयान खुद में ही पूरे भ्रष्ट सिस्टम का सिंपल और साफ सार है-कानून कुछ और कहता है, लेकिन इंदौर आरटीओ में सब कुछ एजेंटों के जरिए चल रहा है। जिस कार्य के लिए ARTO जैसे वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, उसे खुलेआम एजेंटों के हवाले छोड़ दिया गया है। यह स्थिति सामान्य नहीं, बल्कि एक खुला अपराध है।
ट्रायल होमगार्ड का जवान ले रहा था
एजेंट विनोद के इस व्यवहार ने टीम को और सतर्क कर दिया और जैसे ही वे फोर-व्हीलर ट्रैक पर पहुंचे, वहां तो और बड़ा विस्फोट हुआ। वहां चार पहिया वाहनों का ट्रायल कोई अधिकारी नहीं बल्कि एक होमगार्ड का जवान ले रहा था! नाम था—नरेश चौहान। एक होमगार्ड जवान, जो सड़क ट्रैफिक कंट्रोल से लेकर भीड़-प्रबंधन जैसी जिम्मेदारियों के लिए तैनात होता है, वह यहां लाइसेंस ट्रायल जैसे संवेदनशील कार्य को निभाता हुआ मिला। यह स्थिति सिर्फ चौंकाने वाली नहीं है, बल्कि पूरे विभाग की नाकामी की परिभाषा है। टीम ने जब उससे पूछा कि ट्रायल कौन ले रहा है तो वह लगातार बचता रहा और किसी अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश करता रहा। उसकी बॉडी लैंग्वेज से साफ लगा कि वह कैमरे से भागना चाहता है और किसी की अनुमति के बिना बोलना नहीं चाहता।
सार्वजनिक सुरक्षा से खिलवाड़
अब सवाल यह है कि जब ट्रायल लेने वाले अधिकारी मौजूद ही नहीं थे, तब ट्रायल कौन ले रहा था? जवाब साफ है—एजेंट और एक होमगार्ड जवान। यह किसी जिले की बात नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के सबसे बड़े और सबसे ज्यादा व्यस्त आरटीओ कार्यालय—इंदौर—का हाल है। यहां लाखों लोग हर महीने लाइसेंस और वाहन संबंधी काम करवाने आते हैं और जिस टेस्ट पर किसी की ड्राइविंग क्षमता निर्भर करती है, वही टेस्ट गलत हाथों में सौंप दिया गया है। यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं है, यह सार्वजनिक सुरक्षा से खिलवाड़ है।
यह कोई एक-दो दिन की बात नहीं
जब टीम ने कार्यालय में पूछा कि ARTO कहां हैं, तो जवाब मिला—मैडम आने वाली हैं। यानि ARTO अर्चना मिश्रा उस समय मौजूद नहीं थीं। दूसरा ARTO, राजेश गुप्ता—वह भी मौके पर नहीं थे। फिर सवाल यह उठता है कि इतने बड़े सरकारी विभाग में ट्रायल की जवाबदारी किसके हाथ में छोड़ दी गई है? विभाग पूरी तरह एजेंटों और निचले स्तर के कर्मचारियों के भरोसे छोड़ दिया गया है। और यह कोई एक-दो दिन की बात नहीं, बल्कि वहां के कर्मचारियों और आने वाले लोगों के अनुसार यह “नियमित प्रैक्टिस” है।
फोर व्हीलर ट्रायल के लिए ₹1000 का शुल्क तय
एक सूत्र ने यह भी बताया कि टू व्हीलर ट्रायल के दौरान अगर कोई व्यक्ति फेल हो जाता है तो उसे मौके पर 200 से ₹300 लेकर उसे इस समय पास कर दिया जाता है और अगर वह पैसा नहीं देता है तो फिर 8 दिन बाद उसे फिर से ट्रायल देने के लिए आना पड़ता है। इसी तरह से फोर व्हीलर ट्रायल के लिए ₹1000 का शुल्क तय किया गया है जो की मौके पर मौजूद एजेंट विनोद और गजेंद्र चौहान वसूल करते हैं।
अधिकारी और बाबू सालों से जमे हुए
इसी दौरान आरटीओ के अंदर बैठा एक व्यक्ति कैमरे पर खुलकर बोल पड़ा। उसकी बातों ने पूरे विभाग की रीढ़ हिला दी। उसने बताया कि बिना पैसे के यहां कुछ नहीं होता। उसने कहा कि अधिकारी और बाबू सालों से जमे हुए हैं और अरबों की संपत्ति खड़ी कर चुके हैं। उसने यह भी बताया कि एक ARTO का करोड़ों का बंगला इंदौर की सबसे महंगी कॉलोनियों में बन रहा है—और यह पैसा आखिर आया कहाँ से? इसी व्यक्ति ने यह भी खुलासा किया कि एक बाबू ने अपने बेटे की शादी में 25 करोड़ रुपए खर्च किए। यह सुनकर सवाल उठना लाज़मी है—आखिर इतनी संपत्ति किस वेतन से इकट्ठी की गई? यदि यह सब ईमानदारी से कमाया हुआ पैसा नहीं है, तो इसका मतलब साफ है कि जनता से उगाही हुई रकम का काला खेल चल रहा है।
कोई भी बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाया
जैसे ही Lalluram.com की टीम ने अपना कैमरा ऑन किया, टू-व्हीलर का ट्रायल ले रहा एजेंट विनोद अचानक तेजी से भागता हुआ दिखाई दिया। वह इतनी तेजी से गायब हुआ कि उसके चेहरे पर आई घबराहट ही पूरी सच्चाई बयां कर गई। वहीं, होमगार्ड चौहान लगातार किसी अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश करता रहा ताकि मामले को शांत किया जा सके। लेकिन कैमरे की मौजूदगी में कोई भी बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
सब कुछ जानते हुए भी चुप
जब टीम ने ARTO अर्चना मिश्रा से फोन पर बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। यही स्थिति इंदौर RTO प्रदीप शर्मा की रही। फोन लगातार बजता रहा लेकिन किसी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। यह खामोशी भी कहीं न कहीं इस पूरे मामले पर एक बड़ा सवाल छोड़ जाती है-क्या अधिकारी खुद इस खेल के संरक्षक हैं? क्या वे एजेंटों और अन्य कर्मचारियों से मिलीभगत कर इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं? या फिर वह सब कुछ जानते हुए भी चुप हैं?
मामला किसी फाइल में दफन होकर रह जाएगा
राज्य के परिवहन मंत्री ने पहले ही बयान दिया था कि सबूत मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब जब Lalluram.com के पास एजेंट द्वारा ट्रायल लेने का वीडियो है, होमगार्ड द्वारा अवैध रूप से ट्रायल लेने की फुटेज है, और आरटीओ के अंदर से भ्रष्टाचार की खुली स्वीकारोक्ति तक रिकॉर्ड हो चुकी है-तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मंत्री अपने शब्दों पर टिकते हैं या यह मामला भी किसी फाइल में दफन होकर रह जाएगा।
भ्रष्टाचार के खेल को जड़ से खत्म करने की जरूरत
इंदौर आरटीओ का यह स्टिंग सिर्फ एक विभाग की पोल नहीं खोलता- यह पूरे सिस्टम का आईना है। यह बताता है कि आम जनता की जेब से निकला पैसा कैसे गलत जेबों में जा रहा है। यह दिखाता है कि जनता की सुरक्षा को कैसे चंद पैसों के लिए दांव पर लगाया जा रहा है। और यह भी साबित करता है कि सरकारी विभागों में हुए भ्रष्टाचार के खेल को जड़ से खत्म करने की जरूरत है।
आरटीओ का काला खेल छुपने वाला नहीं
अब बारी प्रशासन की है कि वह क्या करता है। क्या भ्रष्टाचार का यह गिरोह टूटेगा या फिर एजेंटों और अधिकारियों की मिलीभगत में आम आदमी का नुकसान होता रहेगा? Lalluram.com के इस स्टिंग के बाद एक बात तय है। इंदौर आरटीओ में जो काला खेल चल रहा है, वह अब किसी भी कीमत पर छुपने वाला नहीं है।
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