पी. रंजन दास, बीजापुर। बाघ के शिकार और तस्करी को लेकर हाल ही में सुर्खियों में रहे इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान के पामेड़ अभयारण्य में अब चारागाह विकास के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. मामले में चौकाने वाला तथ्य यह है कि फर्जीवाड़े को विभाग के ही जिम्मेदार अफसरों-कर्मियों ने मिलकर अंजाम दिया, और कैम्पा मद की एक बड़ी राशि डकार ली.

विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्रदत्त जानकारी ने ही पूरे मामले की पोल खोल कर रखी दी है. भ्रष्टाचार की मंशा को मुकम्मल करने जिम्मेदारों ने फर्जी मस्टररोल तैयार कर करीब 3 लाख 31 हजार 284 रुपए का आहरण विधिवत् कर लिया. जबकि मस्टररोल में जिन मजदूरों के नाम दर्ज है, तफ्तीश में सभी फर्जी पाए गए.

मामले की तह तक जाने सबसे पहले विभाग में सूचना के अधिकार के तहत् आवेदन दाखिल किया गया था. इसे संज्ञान में लेते विभाग की तरफ से कार्य से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए थे, जिसमें पामेड़ अभयारण्य अंतर्गत धरमाराम परिक्षेत्र के भट्टीगुड़ा के कक्ष क्रमांक 848, सहायक परिक्षेत्र कंवरगट्टा और कंचाल कक्ष क्रमांक 865 में वर्ष 2020 में कार्य होना बताया गया.

कैम्पा मद से होना था काम

इस कार्य के लिए 3 लाख 31 हजार 769 रुपए की राशि कैम्पा मद से वर्ष 2019 में स्वीकृत की गई थी. इसके तहत कई हेक्टेयर भूभाग पर बीज बोआई, पाटा चलाई, सीबीओ, क्षेत्र सफाई, लेन्टाना, यूपेटोरियम, वनतुलसा व अन्य बीड़ उन्मूलन, अखाद्यय घास , कड़ी मिट्टी में चेकडेम निर्माण आदि कार्य शामिल थे.

वाउचर से लेकर श्रमिकों की सूची में फर्जीवाड़ा

काम को प्रतिदिन 295 रुपए प्रति मजदूर भुगतान की दर से कराया जाना था, लेकिन रेंज के ही जिम्मेदार अफसर-कर्मचारियों ने चारागाह विकास के तहत जितने कार्य होने थे, उन्हें कराए बिना फर्जी वाउचर और इंक्लोजर लेटर (मस्टररोल) तैयार कर राशि आहरित कर ली. कैम्पा मद से स्वीकृत इस काम को माह भर में पूर्ण कराना बताया गया है, जबकि स्थानीय ग्रामीण वर्ष 2020 में संबंधित कक्ष क्रमांक में कोई काम ना होने की बात कह रहे हैं.

भनक तक लगने नहीं दी

वहीं वाउचर में परिसर रक्षक, सहायक परिक्षेत्र अधिकारी, परिक्षेत्र अधिकारी धरमाराम और अधीक्षक पामेड़ अभयारण्य द्वारा हस्ताक्षर कर भौतिक सत्यापन दर्शाया गया है. लेकिन मिल रही शिकायतों की तस्दीक की गई तो ग्रामीणों के कथन और मौका स्थल के निरीक्षण में कोई काम ना होने की बात सामने आई है.

सूची में जिनका नाम काम से उनका इंकार

कोंडापल्ली सरपंच मनीष यासम का आरोप है कि अधीक्षक, रेंजर और डिप्टी रेंजर ने मिलीभगत कर राशि आहरित कर ली और उन्हें भनक तक नहीं लगी. सूची में जिन मजदूरों के नाम दर्शाए गए हैं, उनका भी वास्ता इस काम से नहीं था. ग्रामीण और मजदूरों के इंकार से स्पष्ट है कि पामेड़ अभयारण्य अंतर्गत वर्ष 2020 में चारागाह विकास के नाम पर अफसर-कर्मियों ने विभाग को अंधेरे में रखकर कैम्पा मद की बंदरबाट कर ली थी.

बड़ा सवाल-कार्रवाई कब तक

बहरहाल, मामला उजागर होने के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. जानकारी मिली है कि भ्रष्टाचार के सूत्रधार अधीक्षक को विभाग ने दूसरे रेंज में स्थांनातरित कर दिया है. हालांकि, भ्रष्टाचार को लेकर विभाग की चुप्पी के खिलाफ अब पंचायत ने ही मोर्चा खोलने का मन बना लिया है. देखना होगा कि इस पर विभाग की नींद कब टूटेगी और भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले अधीक्षक, परिक्षेत्र अधिकारी, परिसर रक्षक पर कार्रवाई होगी तो आखिर कब तक?

अधिकारी कह रहे भौतिक सत्यापन की बात

मामले में जानकारी लेने पर धरमारम के तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी विनोद तिवारी ने कहा कि संबंधित रेंज में चारागाह विकास का कार्य कराया गया है. मैने भौतिक सत्यापन के लिए निरीक्षण किया था. काम हुआ है, इसके अतिरिक्त कोई जानकारी चाहिए तो डिवीजन में सम्पर्क करे.