टुकेश्वर लोधी, आरंग. छत्तीसगढ़ में ‘मंदिरों के शहर’ के नाम से प्रसिद्ध आरंग में खेत निर्माण के दौरान 10वीं-11वीं शताब्दी के प्राचीन अवशेष मिले हैं. ये प्राचीन मंदिर के अवशेष हैं. आरंग के लोधी पारा में झलमला तालाब के पीछे खेत निर्माण के लिए जोताई करने के दौरान ये अवशेष मिले है.

दरअसल, हैरानी की बात है कि, ये सभी अवशेष महीनों से पड़े हुए है. लाल पत्थर से निर्मित इन पुरातन अवशेषों की जानकारी मिलने के बाद इसकी जानकारी आरंग एसडीएम के माध्यम से पुरातत्व विभाग को दी गई. जिसके बाद मौके पर आरंग तहसीलदार विनोद साहू के साथ संस्कृति विभाग रायपुर के उपसंचालक प्रताप पारख, उत्खनन सहायक प्रवीण तिर्की और पुरातत्व शाखा से राजीव मिंज पहुंचे. जहां उन्होंने अवशेष की जांच की और उस क्षेत्र का निरीक्षण किया.

संस्कृति विभाग के उपसंचालक प्रताप पारख ने बताया कि, ये अवशेष 10वीं-11वीं शताब्दी के है और ये मंदिर के अवशेष हैं. इन अवशेषों में नदी देवी, उनके वाहन मकर, हंस और मंदिर के खंभे हैं. मंदिर का दायरा 1 से डेढ़ हेक्टेयर में फैला हुआ है. पारख ने आगे बताया कि, आरंग में ऐसे कई टीलानुमा जगह है, जिससे पता चलता है कि यहां प्राचीन मंदिर है. इन स्थानों पर खुदाई की आवश्यकता है, जिससे और भी प्राचीन अवशेष मिल सकते है.

आरंग के तालाबों में मिल चुके है कई प्राचीन अवशेष

बता दें कि, इसके अलावा आरंग के कई तालाबो में गहरीकरण के दौरान कई प्राचीन काल के अवशेष मिले हैं. जो रायपुर स्थित महंत घासीदास संग्रहालय में मौजूद है. खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिलते रहते है. आरंग में पुरातन संस्कृति के अवशेषों का पूर्ण रूप से संरक्षण नहीं हो पा रहा है. यहां लोगों के घरों में भी अवशेष मिलते हैं, लेकिन जागरूकता और जानकारी के अभाव में आरंग में मिलने वाले प्राचीन काल के अवशेष अब धीरे-धीरे नष्ट होने की कगार पर है.

सिरपुर से भी प्राचीन और अधिक अवशेष मिलने की संभावना

जानकारों का मानना है कि, आरंग में अगर खुदाई होती है तो सिरपुर से भी पुराने और अधिक अवशेष मिलने की संभावना है. लेकिन शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासनीता के कारण ऐतिहासिक नगर आरंग अपना इतिहास खोते जा रहा है.

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