सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। प्रदेश में एमडीएम फंड के जरिए खरीदे गए करोड़ों रुपए के घटिया क्वालिटी के बर्तन को मध्यान भोजन केंद्रों में बांट दिया गया. अगर आंकड़ों में बात करें तो बर्तन के लिए प्रति स्कूल 5 हजार रुपए केंद्र सरकार से स्वीकृत हुआ है, इस लिहाज से प्रदेश के तमाम प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूल के लिए 14 करोड़ रुपए से ज्यादा की खरीदी पर सवाल पैदा हो रहा है.
मध्यान्ह भोजन के लिए सरकारी स्कूलों को केंद्र सरकार के मद से बर्तन की आपूर्ति की जाती है. इसके लिए खरीदी शिक्षा विभाग की ओर से की जाती है. चालू वित्तीय वर्ष में भी स्कूलों के लिए क्रिस्टल इंडिया इंडस्ट्रीज, महासमुंद में बने प्रेशर कुकर, भगौना (गंज), स्टील कढ़ाही, जग और स्टील तगाड़ी की आपूर्ति की गई है. 14 करोड़ 21 लाख 80 हजार रुपए की लागत से हुई खरीदी के बाद सप्लायर को पेमेंट भी कर दिया गया है, लेकिन कम वजन के बर्तनों की आपूर्ति किए जाने की शिकायत की गई थी.
राजनांदगांव जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) द्वारा कराई गई जांच में शिकायत सही पाई गई, जिसके बाद उन्होंने विकासखंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को पत्र जारी कर कंपनी को बर्तन वापस करते हुए कंपनी से तय वजन के बर्तन प्राप्त कर उन्हें सूचित करने को कहा गया. अधिकारी के आदेश के बाद विकासखंड शिक्षा अधिकारियों ने कार्रवाई तो नहीं की, लेकिन छह महीने बाद डीईओ ने नया आदेश जारी कर बीईओ को दो दिनों के भीतर बर्तनों की आपूर्ति कर सूचित करने को कहा.
इस घोटाले का खुलासा राजनांदगांव से हुआ है, जहां के जिला शिक्षा अधिकारी ने 20 अगस्त 20 में विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर आपूर्ति किए गए बर्तनों का वजन कम होने का हवाला देते हुए महासमुंद स्थित क्रिस्टल इंडिया इंडस्ट्रीज को वापस कर मानक बर्तन हासिल कर कार्यालय को जानकारी देने को कहा. अब सवाल उठ रहे हैं कि जांच में बर्तनों के मानक वजन नहीं होने की बात की पुष्टि होने के बाद भी फिर से उन्हें वितरित करने का दबाव क्यों डाला जा रहा है.
यह सिर्फ राजनांदगांव का ही मामला नहीं है, पूरे प्रदेश के 49181 प्राथमिक स्कूल एवं पूर्व माध्यमिक शाला स्कूल में से 21792 प्राथमिक स्कलों में और 6644 अपर प्राथमिक स्कूल दोनों को मिलाकर 28436 प्राथमिक स्कूल एवं पूर्व माध्यमिक शाला स्कूल में प्रति स्कूल 5 हजार रू के हिसाब से 14 करोड़ 21 लाख 80 हजार का घटिया बर्तन एक ही कंपनी से खरीदा गया है. इस तरह से यह 14 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला है, जिसमें विभागीय उच्चाधिकारियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है.
बर्तन वितरण को लेकर जब राजनांदगांव जिला शिक्षा अधिकारी हेतराम सोम से लल्लूराम डॉट कॉम ने कहा कि शिकायत मिली तो जांच किया, जिसमें शिकायत सही पायी गई. जितने वजन का बर्तन ऑर्डर हुआ था, उतने वजन का नहीं है, उसके बाद स्कूलों में पहुंचे सभी बर्तन के वापसी के लेटर लिखा गया था. इसके बाद डीईओ से नए सिरे से स्कूलों में बर्तन बांटने के आदेश निकाले जाने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कन्नी काटते हुए कहा कि ऑफिस बंद है, फाईल देखकर बता पाउंगा मेरे कार्यकाल का आर्डर नहीं है. जबकि, दोनों ही आदेश पर एक ही हस्ताक्षर साफ नजर आ रहे हैं.
इस संबंध में छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल का कहना है कि यह प्रदेश स्तरीय घोटाला है. बिना मांग पत्र, बिना खरीदी समिति के बड़े पैमाने पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है, जिसमें प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारी दोषी है. इस मामले में तत्काल उच्चस्तरीय जांच होना चाहिए और सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जाना चाहिए. इस संबंध में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव और संचालक को पत्र लिखा गया है.