मनीष मारू,आगर मालवा। मप्र के आगर मालवा जिले के 48 वर्षीय मोहनलाल माली की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी. मोहनलाल के पिता मोतीलाल अपने बेटे की किडनी ट्रांसफ्लांट करवाना चाहते थे, लेकिन उसके लिए पिता को स्वयं के जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी. जिसे बनवाने के लिए वह 6 महीने से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा था. इस खबर को लल्लूराम डॉट कॉम ने सिस्टम पर सवाल उठाते हुए प्रमुखता से प्रकाशित किया. जिसका असर देखने को मिला है.

खबर के बाद हरकत में आए जिला प्रशासन ने पीड़ित मोहनलाल के पिता मोतीलाल को शुक्रवार को तहसील कार्यालय में बुलाया गया. 1 से 2 घंटे के बीच ही प्रक्रिया पूरी कर नायब तहसीलदार देवेन्द्र दानगढ और पटवारी गोवर्धन शर्मा ने जन्म प्रमाण पत्र सौंप दिया. यदि यही काम अधिकारी पहले कर देते तो बेटे का पहले ही किडनी ट्रांसप्लांट हो जाता है.

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जन्म प्रमाणपत्र मिलने के बाद 65 वर्षीय पिता मोतीलाल ने बताया कि जिस प्रमाणपत्र को लेने के लिए वो 6 महीने से चक्कर लगा रहे थे, वह मीडिया के सहयोग से उन्हें 2 घंटे में मिल गया. मोतीलाल ने लल्लूराम डॉट कॉम को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि अब वो रविवार को किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के लिए अपने बेटे को लेकर जयपुर रवाना होंगे.

ऐसा है हमारा सिस्टम! बेटे को नया जीवन देना चाहते हैं पिता, किडनी ट्रांसप्लांट के लिए चाहिए खुद का जन्म प्रमाणपत्र, 6 महीने से सरकारी दफ्तरों का काट रहे चक्कर

बता दें कि सुसनेर निवासी 48 वर्षीय मोहनलाल माली की दोनों किडनी खराब हो चुकी है. इसके साथ ही इन्हें पेरालाइसिस भी हो गया. अब शरीर का आधा भाग काम नहीं कर रहा है. कीडनी ट्रांसप्लांट के लिए वे जयपुर के एक अस्पताल में गए थे, जहां से उन्हें अपना खुद का जन्म प्रमाण पत्र लाने के लिए कहा गया. उसके बाद से बीमार बेटे के बुजुर्ग पिता मोतीलाल स्वयं का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 6 महीने से परेशान हो रहे थे. इसके लिए वे जनसुनवाई में जिला कलेक्टर अवधेश शर्मा के अलावा सुसनेर तहसीलदार और लोकसेवा केन्द्र के भी चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो चुके थे.

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