राम कुमार यादव, अंबिकापुर। हरेली त्योहार इस बार प्रदेश के अन्य जिलों की तरह सरगुजा जिले के किसानों की समृद्धि और खुशहाली का तोहफा लेकर आ रहा है. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार किसानों और पशुपालकों को केंद्र में रखकर इस अवसर पर महत्वकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना की शुरुआत कर रही है. इसमें किसानोंगोपालकों से गोबर की खरीदी कर वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार कर बिक्री की जाएगी. इसमें जहां पशुपालकों को चौपाइयों की देखभाल में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर कृषि भी रासायनिक खाद से मुक्त होगी.

सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को लेकर lalluram.com ने सरगुजा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोगों और किसानों की राय ली है. अंबिकापुर से लगे ग्राम करदोनी निवासी पशुपालक और किसान नारद कुमार का कहना है कि सरकार गोबर की खरीदी करेगी तो लोग गायभैंसों को अधिक संख्या में पालेंगे, जिससे दूध का उत्पादन अधिक होगा. पूर्व में गोबर खाद को कम दामों में बेचा जाता था, जिसकी सही कीमत किसानोंपशुपालकों को नहीं मिल पाती थी, लेकिन अब इस योजना से उन्हें काफी लाभ पहुंचेगा. नारद कहते हैं कि खेती में आजकल रासायनिक खाद और यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे भूमि धीरेधीरे बंजर होते जा रही है. कंपोस्ट खाद के इस्तेमाल से भूमि सदा उपजाऊ रहेगी.

वहीं विगत 20 वर्षों से दूध व्यवसाय से जुड़े केदारपुर निवासी करण यादव (भोले) का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की यह योजना गायभैंस पालकर दूध का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है. इसके साथ ही उनका मुख्यमंत्री से आग्रह है कि गोबर की कीमत प्रति डेढ़ रुपया को आने वाले समय में बढ़ाई जाए, जिससे युवाओं को और बेहतर लाभ मिले, और वे पशुपालन के व्यवसाय को मन लगाकर अपना सके. वे कहते हैं कि सरगुजा में दिनोंदिन मवेशियों की संख्या घटती जा रही है. इस योजना के लागू होने से युवा वर्ग मवेशियों को पालन कर सम्मानजनक जीवन यापन कर सकते हैं.

नगर के वरिष्ठ पत्रकार आनंदपाल दीक्षित का कहना है कि यह योजना अच्छी सोच के साथ लाई गई है, लेकिन लंबे समय तक चलने वाली नहीं है, क्योंकि इसकी निगरानी संभव ही नहीं है. सरगुजा के बहुत कम घरों में मवेशी पाले जाते हैं, और यह संभव नहीं है कि लोग थोड़ेथोड़े गोबर को रोज बेचने के लिए जाएंगे. हां, कोई बड़ा गौठान हो या जिनके पास ज्यादा मवेशी हो, और वे एक साथ गोबर बेचे तो इसका फायदा है. हर घर में इस योजना का लाभ मिले यह संभव नहीं. सरगुजा क्षेत्र के लिए यह योजना ज्यादा फायदेमंद नहीं है, क्योंकि यहां पशुधन की कमी है. लेकिन इससे दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा जैसे जिलों में जहां बहुतायत में मवेशी पाए जाते हैं, वहां के लोगों को काफी लाभ होगा.