श्याम अग्रवाल, खरोरा। सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने और बेहतर शिक्षा का दावा करते हुए हर साल करोड़ों रुपए सरकारी स्कूलों में खर्च करने का दिलासा देती है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत इन तमाम दावों की पोल खोल देती है. जिस स्कूल की हम बात करने जा रहे हैं, वहां नौनिहालों के लिए बैठने तक के लिए ढंग की जगह नहीं है. शिक्षक की कमी के बीच और नए शिक्षक की सालों बाट जोहते इस स्कूल पर सरकार की नज़र अब तक नहीं पड़ी है.
छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम भैंसमुड़ी की प्राथमिक शाला तथा मिडिल स्कूल की हालत काफी खराब है. इस स्कूल में पहली से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं लगती है, जिसमें मीडिल स्कूल में केवल दो शिक्षक के भरोसे 114 बच्चें अध्ययनरत हैं. वह भी स्कूल भवन जर्जर होने की वजह से एक कक्षा में सभी बच्चों की क्लास लगती है, जो कि शिक्षकों के लिए परेशानी बनी हुई है कि आखिर एक ही कक्षा में सभी बच्चों को कैसे पढ़ाएं.
वहीं प्रायमरी स्कूल में 120 बच्चों की क्लास दो ही कक्ष मे तीन शिक्षकों के भरोसे चलती है. शिक्षकों ने बताया कि यहां 120 बच्चों के पांच शिक्षक हैं, वहीं एक शिक्षक को अतिरिक्त प्रभार देते हुए अन्यत्र भेज दिया गया है. एक शिक्षक का काम प्रधान पाठक के कार्य के रूप में निकल जाता है. बचे तीन शिक्षक जो पांचवीं कक्षा तक अध्यापन कराते हैं. ऐसे में बच्चों का अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है.
सालों से स्कूल भवन के मरम्मत की मांग
भैसमुंडी स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि स्कूल के लिए बने भवन काफी जर्जर हो चुकी है. बरसात के समय में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. भवन की हालत ठीक नहीं होने की वजह से सभी क्लास एक ही कक्ष मे दो पालियों में लगानी पड़ रही है. बच्चे जर्जर भवन ना चले जाए ये डर पालक सहित सभी को होती है. कई कमरों में पानी टपक रहा है, तो कई क्लास रूम में छत का सरिया स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है. कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है.
नीव तक कई इंच जमीन में धंसी
बरसात के समय में समुचित निकासी की व्यवस्था नहीं होने की वजह से स्कूल प्रांगण में पानी से भर जाता है. वहीं पुराने प्राथमिक शाला भवन के पीछे पानी भरा होने की वजह से अत्यंत जर्जर हो चुका है. यहां तक भवन की नींव भी कुछ इंच जमीन में धसक गई है, जिस वजह से स्कूल में लगे लोहे की खिड़की मुड़ गई है. शाला समिति और शिक्षकों की और से बैठक कर कई बार जर्जर भवन को लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और शासन-प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन नए शिक्षण सत्र चालू होने के बाद भी ध्यान नहीं दिया गया.
रसोइए भी परेशान
आरंग ब्लाक के भैसमुड़ी गांव के बच्चों को शिक्षित करने के लिए बनाया गया स्कूल भवन जर्जर हो गया है. वहीं किचन की भी हाल ठीक नहीं है. दरवाजा टूट कर निकल गया है. खाना बनाने वाली रसोइए हिरमत बारले और संतोषी डहरिया ने बताया कि पानी भरे होने की वजह से किचन तक आने और खाना ले जाने में काफी तकलीफ़ का सामना करना पड़ता है. छोटी सी जगह में इतने बच्चों का खाना बनाने में काफी परेशानी होती है. दरवाजा नहीं होने की वजह से सामान लाने ले जाने में दिक्कत होती है.
शौचालय की हालत ठीक नहीं
बच्चों के सुविधा के लिए बनाए गए शौचालय की भी हालत ठीक नहीं है. बच्चे मज़बूरी बस कीचड़ भरे रास्ते से होकर टूटे-फूटे दरवाजे और कबाड़ हो चुके शौचालय में जाने को मजबूर हैं. स्कूली बच्चों ने इनकी जल्द मरम्मत की मांग की है, लेकिन आज तक फंड जारी नहीं हुआ. ग्राम पंचायत भैंसमुडी के सरपंच रामायण वर्मा ने बताया कि ग्राम पंचायत की ओर से प्रस्ताव बना कर भेज दिया गया है. जर्जर स्कूल भवन की स्थिति से शासन-प्रशासन को अवगत करा दिया है. लेकिन आज तक फंड जारी नहीं हुआ है.
अनेकों बार दिए आवेदन लेकिन
मिडिल स्कूल शाला समिति के अध्यक्ष सुनीता टंडन व उपाध्यक्ष महेश साहू ने बताया स्कूल भवन की मरम्मत को लेकर शाला समिति की बैठक कर कई बार उच्चाधिकारियों को आवेदन दिए जा चुके है लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई है. नए भवन एवं मरम्मत के लिए तीन से चार बार आवेदन दे चुके हैं. वहीं आरंग जनपद पंचायत सभापति प्रतिनिधि अनिल सोनवानी ने बताया कि मौके पर मैने स्वयं स्थिति का जायजा लिया है. स्कूल के भवनों की स्थिति काफी खराब है. मरम्मत की अतिशीघ्र आवश्यकता है. इस विषय को लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत कराते हुए शीघ्र मरम्मत की मांग करूंगा.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
भैंसमुड़ी प्राथमिक शाला प्रधान पाठक ईश्वर प्रसाद साहू ने बताया कि इस मामले को लेकर छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए कई बार शिक्षा अधिकारियों को पूरी स्थिती से अवगत कराते हुए पत्र और वीडियो के माध्यम से जानकारी भेजा हूं. लेकिन अभी तक स्थिति वहीं है. बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए भवन की मरम्मत अति आवश्यक है.
भैंसमुड़ी शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला प्रधानाचार्य निर्मला कोशले मैने छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुए भवन की मरम्मत और शिक्षक की कमी को लेकर शिक्षा अधिकारी को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया हूं. लेकिन इस विषय को लेकर आज तक कोई पहल नहीं हुई है.
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