रांची. लालू यादव सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद रांची की बिरसा मुंडा जेल में बेद हैं. भले ही लालू विरोधियों के आंख की किरकिरी हों लेकिन उनके चाहने वाले कम नहीं हैं.
लालू की दीवानगी उनके समर्थकों में किस कदर है. इसका नमूना उस वक्त देखने को मिला जब उनके दो कट्टर समर्थकों ने लालू की सेवा के लिए एक फर्जी मामले में खुद को गिरफ्तार करवाया फिर गिरफ्तार होने के बाद उसी जेल पहुंच गए जहां लालू बंद हैं. पहले पहल पुलिस को मामले में कुछ भी असामान्य नहीं लगा लेकिन जब पुलिस ने मामले की तहकीकात करनी शुरु की तो पता चला कि ये गिरफ्तारी बेहद सुनियोजित तरीके से कराई गई है. इसके पीछे मकसद कुछ और था. दरअसल इनमें से एक पहले भी लालू की जेल यात्रा के दौरान इसी तरह की हरकत कर लालू के पीछे पीछे जेल पहुंच गया था ताकि वह अपने आका की सेवा जेल में कर सके.
लालू की जेल की सजा सुनाए जाने की घोषणा के दिन ही रांची के मदन यादव नामक व्यक्ति पर सुमित यादव नामक व्यक्ति से 10,000 रुपये छीनने का मामला दर्ज किया गया. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया फिर उसे रांची की बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया. गौरतलब है रांची की बिरसा मुंडा जेल वही जेल है जहां लालू प्रसाद यादव सजा काट रहे हैं. जब पुलिस ने मामले की पड़ताल की तो पता चला कि मदन यादव के पास दौ गौशाला, लंबा चौड़ा कारोबार और कई एसयूवी हैं. ऐसे में उसके मात्र 10,000 रुपये छीनने की कहानी पुलिस के गले नहीं उतरी.
पुलिस की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि मदन यादव, लालू के परिचित हैं. लालू जब भी रांची आते थे वे मदन यादव के घर पर ही रुकते रहे हैं. मदन के सहयोगी लक्ष्मण पहले भी लालू के रसोईयो के तौर पर काम कर चुके हैं. इस मामले में मदन के सहयोगी के तौर पर लक्ष्मण भी कथित वारदात में शामिल रहे. मदन औऱ लक्ष्मण दोनों की पहचान लालू के करीबियों के रुप में रही है.
इन आरोपों के बाद लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने आरोपों से इंकार किया है. पार्टी ने दोनों को पार्टी कार्यकर्ता भी मानने से साफ इंकार किया है. उधर पुलिस ने तहकीकात के बाद पूरे मामले में जो कहानी बताई उससे यही जाहिर होता है कि लालू के चाहने वाले उनके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. यही वजह है कि बिहार में लालू बहुतों की नजर में मसीहा से कम नहीं हैं. भले ही वो कितने ही आरोपों में सजायाफ्ता रहे हों.