पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर गरमाहट आ गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर भीमराव अंबेडकर के कथित अपमान को लेकर घमासान मचा हुआ है। मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने उन्हें नोटिस भेज दिया है और 15 दिन में जवाब मांगा है। आयोग ने पूछा है कि क्यों न SC-ST Atrocities Act के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए।

NDA और सामाजिक संगठनों ने तीव्र विरोध दर्ज किया

यह पूरा विवाद उस वीडियो फुटेज को लेकर है जो 14 जून को सामने आया। वीडियो में लालू यादव एक कुर्सी पर आराम से बैठे हैं और उनके सामने की कुर्सी पर डॉ. अंबेडकर की तस्वीर रखी हुई नजर आती है। उसी दौरान एक समर्थक तस्वीर के साथ लालू यादव के पास फोटो खिंचवाने आता है। फोटो में ऐसा प्रतीत होता है कि अंबेडकर की तस्वीर लालू यादव के पैरों के पास है। इस दृश्य को लेकर NDA और सामाजिक संगठनों ने तीव्र विरोध दर्ज किया है।

लालू यादव दलितों और पिछड़ों का मसीहा

हालांकि, इस विवाद के बीच जनता दल यूनाइटेड (JDU) के विधायक गोपाल मंडल ने लालू यादव का खुलकर समर्थन किया है। मंडल ने कहा, लालू जी कभी भी अंबेडकर का अपमान नहीं कर सकते। उन्होंने पिछड़ों और दलितों को आवाज दी। ऊंची जातियों के वर्चस्व को चुनौती दी। अगर उन्होंने अंबेडकर की तस्वीर के पास पैर रख दिया तो यह कोई जानबूझकर किया गया काम नहीं था। उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती और अक्सर पैर चढ़ाकर बैठते हैं।
गोपाल मंडल ने लालू यादव को “दलितों और पिछड़ों का मसीहा” बताया और कहा कि उन्होंने गांव-गांव जाकर दलित बस्तियों में लोगों से संवाद किया, उनके हक के लिए संघर्ष किया।
इस बीच राजनीतिक हलकों में यह बहस तेज हो गई है कि क्या यह एक राजनीतिक साजिश है या फिर वाकई में एक संवेदनशील मुद्दे का अपमान? लालू यादव क्या जवाब देंगे, यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल यह मुद्दा बिहार की राजनीति में नया बवाल बन चुका है।

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