नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. लालू ने जनगणना में पिछड़े और अति पिछड़े की गिनती पर एक बार फिर सवाल उठाया है. लालू यादव ने अपने ट्वीट को री-ट्वीट कर पूछा कि केंद्र सरकार हिन्दुओं की बहुसंख्यक आबादी की जनगणना क्यों नहीं करवाना चाहती है ? इस पर बीजेपी ने कहा कि लालू जातीय उन्माद फैलाना चाहते हैं.

लालू यादव ने केंद्र से पूछा सवाल

दरअसल लालू यादव ने 2019 के ट्वीट को री-ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जनगणना में कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, सियार-सूअर सबकी गिनती करती है, तो पिछड़े और अति पिछड़ों की गिनती करने में क्या परेशानी है ? उन्होंने पूछा है कि जनगणना में एक अलग जाति का कॉलम जोड़ने में क्या दिक्कत है ? क्या जातिगत जनगणना करेंगे तो 10 फीसदी की 90 प्रतिशत पर हुकूमत की पोल खुल जाएगी ?

जातिगत जनगणना में एक और कॉलम जोड़ने में क्या दिक्कत ?

लालू यादव ने कहा कि जनगणना में मात्र एक कॉलम जोड़ देने और पिछड़ों-अति पिछड़ों की वास्तविक संख्या ज्ञात हो जाने से किसे, क्या और किसका डर है ? उन्होंने सवाल उठाया है कि NPR (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर), NRC (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे. सुना है NPR में अनेक अलग-अलग कॉलम जोड़ रहे हैं, लेकिन इसमें जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है ? क्या 5000 से अधिक जातियों वाले 60 प्रतिशत अनगिनत पिछड़े-अति पिछड़े हिंदू नहीं हैं, जो आप उनकी गणना नहीं चाहते ?

जातीय उन्माद फैलाना चाहते हैं लालू- बीजेपी

बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि जनगणना निदेशालय एक स्वतंत्र निकाय है. सरकार ने कहा है कि जातीय जनगणना हो, लेकिन यह निदेशालय को तय करना है. लोगों को यह समझना चाहिए कि सरकार आर्थिक आधार पर कई योजनाओं का लाभ दे रही है. ऐसी 70-75 तरह की योजनाएं हैं, जिनका लाभ हर जाति के गरीबों को मिल रहा है. इसमें ज्यादातर पिछड़ी-अति पिछड़ी जातियां ही योजना का लाभ उठा रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि लालू प्रसाद को जब मौका मिला तो उन्होंने जातीय जनगणना नहीं कराई, बल्कि उनकी सरकार में सबसे ज्यादा अति पिछड़े, दलित प्रताड़ित हुए. अब वे जातीय उन्माद फैलाना चाहते हैं.

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