मनोज यादव, कोरबा। कुछ साल पहले दिल्ली में हुए किसान आंदोलन की झलक छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में भी देखने को मिली है. एसईसीएल (SECL) के भूविस्थापित पिछले 6 घंटे से कलेक्टर कार्यालय के गेट के सामने सड़क पर धरने पर बैठे है. इस आंदोलन में महिलाओं की संख्या अधिक है. 40 से अधिक गांव से आए आंदोलनकारियों ने धरनास्थल के पास में ही भोजन बनाया और सड़क के बीच बैठकर खाना भी खाया.

सड़क के बीच बैठकर भोजन करते आंदोलनकारी एसईसीएल मैनेजमेंट के सताए हुए हैं. कुसमुंडा, गेवरा कोयला खदान से प्रभावित 300 से अधिक भूविस्थापितों ने अपनी जमीन गवां दी लेकिन अब भी अपने अधिकार से वंचित हैं. सालों बाद भी एसईसीएल ने न इन्हें नौकरी दी और ना ही मुआवजा. विस्थापन की मार झेल रहे भूविस्थापितों ने अब आर-पार को लड़ाई शुरू कर दी है.

मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे आंदोलनकारियों ने कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर दिया और बीच सड़क पर धरने पर बैठ गए. माहौल गरमाता देख प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और हड़ताल समाप्त करवाने का प्रयास किया लेकिन आक्रोशित महिलाओं उनकी एक न सुनी. आंदोलन को 6 घंटे से अधिक हो गया. मगर भूविस्थापित डटे हुए हैं. उन्होंने खुद पैसे एकत्र कर राशन को व्यवस्था की. पास में भोजन बनाया और सड़क के बीचोबीच ही खाना खाया.

ये पहला मौका है जब कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने वाले आंदोलनकरियों ने 6 घंटे तक आंदोलन जारी रखा और गेट के सामने ही भोजन किया. ये पहला मौका है जब कलेक्ट्रेट को घेरने वाले आंदोलनकारियों ने देर शाम तक प्रदर्शन करने के साथ ही सड़क के बीचोबीच खाना खाया. ये तस्वीर देखकर इनकी तकलीफ को समझना मुश्किल नहीं है. बहरहाल, ये तो साफ हो गया है भूविस्थापीत अब शांत होने वाले नहीं हैं. इनका आंदोलन अब और उग्र होने वाला है. देखना होगा कि सालों से गुमराह करने वाले एसईसीएल पर इस आंदोलन का असर पड़ता है या नहीं.

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