नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनके बेटे तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ कई हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में लाल और तेजस्वी और आठ अन्य आरोपियों के खिलाफ मंगलवार को एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया. पूरक आरोपपत्र विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष दाखिल किया गया, जिन्होंने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख तय की. ED का मामला CBI की एक प्राथमिकी से उपजा है.
बिना नोटिस हुई नियुक्ति
यह भी आरोप लगाया गया कि क्षेत्रीय रेलवे में स्थाना पन्नों की ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, फिर भी पटना के निवासी नियुक्त व्यक्तियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर स्थित विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया.
ED ने आरोप लगाया कि आरोपित ने रेलवे में नौकरी देने के लिए, एक अप्रत्यक्ष तरीका तैयार किया, जिसमें उम्मीदवारों को पहले स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया. तलाशी के दौरान नियुक्त हुए उम्मीदवारों की सूचियों वाली एक हार्ड डिस्क भी बरामद की गई. CBI ने 18 मई 2022 को पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री और उनकी पत्नी, 2 बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
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क्या है पूरा मामला?
मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में लालू यादव रेल मंत्री हुआ करते थे. रेल मंत्री रहने के दौरान उनके परिवार को कथित तौर पर उपहार में दी गई या बेची गई जमीन के बदले रेलवे में की गई नियुक्तियों का मामला है. कहा जाता है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू और उनके कुछ खास लोग रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर जमीन का सौदा कर रहे थे. रेलवे में नौकरी पाने के इच्छुक सैकड़ों लोगों ने अपनी जमीन लालू यादव के परिवार या उनके करीबियों के नाम कर दी थी.
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