कैलाश जायसवाल,रायपुर. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविन्द नेताम और सर्व आदिवासी समाज के संरक्षण व पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने सरकार पर मनमानी का करने का आरोप लगाया और इसी मनमानी के विरोध में फरवरी में एक आंदोलन करने की भी चेतावनी दी है. यह चेतावनी संरक्षक सोहन पोटाई और अरविंद नेताम ने एक पत्रकारवार्ता के दौरान दी.

संरक्षक सोहन पोटाई और अरविंद नेताम ने छत्तीगसढ़ सरकार की ओर से प्रस्तावित आपसी सहमति से भूमि क्रय नियम 2016 को विधानसभा पटल में रखकर निरस्त करने की मांग की है. इन नेताओं का कहना है कि इस नीति के तहत आदिवासी समाज तथा प्रदेश के अन्य वर्गो के किसानों को क्या नुकसान होगा. इसकी जानकारी सत्ता में आसीन आदिवासी जनप्रतिनिधियों को नहीं है.

इन नेताओं ने इस नीति से आदिवासी समाज को क्या क्या नुकसान होने वाला है. इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि जमीन अधिग्रहण अधिनियम 2013 के प्रावधान के अनुसार मुआवजा राशि बाजार मूल्य से चार गुना दर से, केंद्र सरकार की परियोजना में अधिग्रहित भूमि की प्रावधान राशि दिलवाने के बजाए आदिवसियों का शोषण करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं. आपसी सहमति से बनाए गए भूमि क्रय नीति के अनुसार बाजार मूल्य से दो गुना राशि मुआवाजा दिलवाकर राज्य सरकार आदिवासियों का शोषण करना चाहती है. इससे स्पष्ट होता है कि सरकार आदिवासियों के साथ नहीं है और यही कारण आज आदिवासी समाज आदिवासियों के हित में संगठन बना के खड़ा हुआ है. छत्तीसगढ़ प्रदेश की 22 जनजातियों को 2003-04 में अलग कर इनका अधिकार समाप्त कर दिया गया था. 14 साल बाद जिन्हें पुनः वापस लिया गया है. इन चौदह सालों में जो नुकसान हुआ है. उनकी भरपाई के लिए सरकार से इन इन नेताओं ने मांग की है.

साथ ही पुलिस भर्ती परीक्षा, फर्जी जाति प्रमाण पत्र के साथ ही साथ जमीन को पूंजीपतियों के हाथ खरीदी करने वाले से वापस दिलाने जैसी मांगो को लेकर सरकार के पास कई बार गए लेकिन सरकार के जन प्रतिनिधि और अधिकारियों ने इन मांगो को सुनकर भी अनसुना कर दिया है. जिसके चलते अब फरवरी में सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा जिसकी तैयारी की जा रही है.