लसोड़ा पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. देश के कई जगहों पर इसे गोंदी और निसोरा भी कहा जाता है. लसोड़ा सूखे जंगलों में बढ़ता है. यह हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि में होता है. जंगल के अलावा लोग अपने खेतों के किनारे पर भी इसे तैयार करते हैं. राजस्थान के लोग इसका अचार भी बनाते हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण इसके पेड़ लुप्त हो रहे हैं.

इसके बीज से पेड़ तैयार करना लगभग असंभव है. औषधीय गुणों से भरपूर लसोड़ा का अचार अनेक दर्द निवारण का कार्य भी करता है. लसोड़ा में मौजूद तत्वों में दो प्रतिशत प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, लोहा, फास्फोरस और कैल्शियम होता है. Read more – Video : एयरपोर्ट पर स्पॉट किए गए Kiara Advani और Sidharth Malhotra, नए साल का जश्न मनाने निकला कपल!

जोड़ों का दर्द के साथ टूटी हड्डी को जोड़ देता है लसोड़ा

ग्लूबेरी यानी लसोड़ा का नियमित सेवन गठिया से पीडि़त लोगों में जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के लिए जाना जाता है. एक अध्ययन के अनुसार, लसोड़ा के फलों और पत्तियों में एनाल्जेसिक गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द से राहत दिला सकते हैं. जिससे टूटी हड्डी भी एक हफ्ते में जुड़ जाती है. Read More – नए साल से पहले विमान कंपनियों ने किराया दोगुना बढ़ाया …

सफेल बालों की समस्या करता है लसोड़ा

अगर आपकी उम्र से पहले ही बाल सफेद हो रहे हैं तो लसोड़ा आपके लिए घरेलू औषधि है. इसके फलों से निकले रस को बालों पर लगाने से सफेद की समस्या दूर हो जाती है. आप लसोड़े के फल के रस को तेल में मलिसकर भी प्रयोग में ले सकते हैं.