नई दिल्ली . दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर एक व्यापक हलफनामा दाखिल करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को आखिरी मौका दिया है.
उच्च न्यायालय ने डीयू से यह भी हलफनामा दायर करने को कहा कि विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर (सीएलसी) में दिव्यांयग व्यक्तियों के लिए भौतिक बुनियादी ढांचे और पहुंच पर न्याय मित्र के सुझावों या रिपोर्ट को कैसे लागू किया गया है. दिल्ली विश्वविद्यालय के वकील द्वारा यह सूचित किया गया कि सीएलसी में शौचालयों, गलियारों, खुले क्षेत्रों की मरम्मत और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए स्पर्श और अन्य सुविधाओं के प्रावधान का काम विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकारी की संतुष्टि के अनुसार एजेंसी द्वारा पूरा कर लिया गया है.
न्यायमूर्ति पुरुषइंद्र कुमार कौरव की पीठ ने डीयू को इस बाबत हलफनामा दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है. पीठ का कहना था कि हलफनामे के माध्यम से वह सतुष्ट होना चाहते हैं कि वर्ष 2016 के अधिनियम के प्रावधानों और एमिक्स क्यूरी के सुझाव रिपोर्ट के अनुसार डीूय में व्यवस्थाएं की गईं हैं या नहीं. इसके लिए ही विस्तृत हलफनामा तलब किया गया है. दरअसल उच्च न्यायालय विश्वविद्यालय के एक छात्र जयंत सिंह राघव (जो दृष्टिहीन है) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. उसने परीक्षाओं के दौरान दिव्यांग छात्रों को सहायता उपकरण प्रदान करने का मुद्दा उठाया था.
10 और रैंप बनाने का आदेश दिया जाना चाहिए
पीठ ने पहले इस मामले में वकील कमल गुप्ता को न्याय मित्र नियुक्त किया था. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में में कहा है कि सीएलसी में विभिन्न स्थानों पर 10 और रैंप बनाने का आदेश दिया जाना चाहिए. प्रत्येक मंजिल पर दिव्यांगों के लिए एक शौचालय बनाया जाना चाहिए. मामले की सुनवाई 7 दिसंबर को होगी.