इस्लामाबाद। पाकिस्तान में विपक्ष के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के साथ ही तेजी से घटनाक्रम में बदलाव आ रहा है. इमरान खान की पार्टी के सांसदों ने जिस तरह से उनका साथ छोड़ा है, और अब इस्टेब्लिसमेंट (सेना) ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया है, उससे 3 अप्रैल को होने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर इमरान खान की हार तय मानी जा रही है.

पाकिस्तान के 72 साल के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. इमरान खान भी अपवाद साबित नहीं होने जा रहे हैं. कार्यकाल पूरा होने से डेढ़ साल पहले ही उनकी सत्ता से विदाई तय मानी जा रही है. इस बात से भली-भांति वाकिफ इमरान खान अपने सम्मानजनक विदाई की राह तलाश रहे थे. इसके लिए उन्होंने सेना प्रमुख के जरिए विपक्ष को यह संदेश दिया कि अगर वे अविश्वास प्रस्ताव वापस लेते हैं तो वे सदन में जल्द चुनाव की घोषणा कर सकते हैं. लेकिन विपक्ष ने उन्हें कोई और मौका नहीं दिया.

ऐसे में इमरान खान ने अगले चुनाव के लिए अपने लिए जमीन तैयार करने के लिए पूरे पाकिस्तान की मिट्टी पलीद करने में लगे हुए है, इसके लिए उन्होंने अमेरिका पर खुद को सत्ता से हटाने का आरोप मढ़ दिया है. इसके साथ अब अपनी जान को खतरा बता रहे हैं. इमरान खान की चाल से वाकिफ सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा ने अमेरिका और यूरोप के साथ पाकिस्तान के अच्छे संबंधों की बात कही है. इसके साथ ही इमरान खान के न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में जल्द चुनाव सहित दिए गए तीन विकल्पों की बात को भी खारिज तक दिया है.

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रुपए की कीमत में रिकार्ड गिरावट

इमरान खान की सत्ता जाते देख पाकिस्तान रुपए का भी दम टूट रहा है. शुक्रवार को इंटरबैंक ट्रेडिंग में एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान रुपए की कीमत 184.09 रुपए तक पहुंच गया. यह लगातार डॉलर के मुकाबले गिरते जा रहे पाकिस्तान रुपए की अब तक की सबसे गिरावट है. चीन और आईएमएफ के कर्जों से दबे पाकिस्तान के लिए पहले ही कर्ज चुकाना भारी पड़ रहा था. कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेने की नौबत आ गई है, ऐसे में श्रीलंका की तरह पाकिस्तान के लिए गंभीर आर्थिक संकट आसन्न नजर आ रहा है.

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नवाज के भाई शहबाज बनेंगे अगले प्रधानमंत्री

इमरान खान की विदाई के साथ विपक्ष ने प्रधानमंत्री का चेहरा तय कर लिया है. इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई और पाकिस्तान नून लीग (एमएमएल-एन) में दूसरे क्रम के नेता शहबाज शरीफ का नाम तय कर रखा है. वहीं सरकार में बिलावल भुट्टो की अगुवाई वाली पीपीपी और जमीअत उलेमा ऐ इस्लाम (एफ़) मौलाना फजलुर रहमान की भूमिका को लेकर आने वाले समय में मंथन होगा. माना जा रहा है कि सत्ता सभालते ही शहबाज शरीफ चुनाव की घोषणा कर सकते हैं.

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