राकेश चतुर्वेदी, भोपाल: गौ-माता को मध्य प्रदेश में अब महत्वपूर्ण दर्जा मिलने जा रहा है। इसके लिए डाॅ. मोहन सरकार गौ-माता के सम्मान के लिए नए प्रावधान करने जा रही है। सूत्रों की मानें तो गौ-वंश की मौत पर उसका अंतिम संस्कार करना अनिवार्य होगा। सीएम के निर्देश पर पशुपालन विभाग इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने में जुटा हुआ है। जिसे जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा।
मध्य प्रदेश में गौ-माता के सम्मान के लिए तैयारियों की झलक कैबिनेट बैठक से पहले मुख्यमंत्री की मंत्रियों से हुई चर्चा के दौरान देखने को मिली। मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने कहा कि गौ-माता मृत्यु का शिकार होती है तो उनके सम्मानजनक दाह संस्कार की व्यवस्था भी होना चाहिए। इस संबंध में ग्राम पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम का दायित्व निर्धारित किया जाएगा। गौ माता के अवशेष अपमानित न हों, इसके लिए समाधि या उनके दाह संस्कार के लिए आवश्यक बजट आवंटन किया जाएगा।
उल्लंघन पर रहेगा जुर्माना और सजा का प्रावधान
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के निर्देश पर पशुपालन विभाग इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है। जिसके तहत गौशाला में रहने वाली या गौशालाओं के बाहर रहने वाले सभी तरह के गौ-वंश का अंतिम संस्कार करना अनिवार्य होगा। नियम का पालन कराने के लिए संबंधित पंचायत या निकायों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी। नियम का उल्लंघन होने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान रहेगा। प्रस्ताव तैयार होने पर उसे जल्द कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा।
पशुपालन विभाग की इस महीने होगी बैठक
प्रस्ताव में इस तरह के प्रावधान करने की तैयारी है, जिससे गौ-वंश सड़कों पर ही न दिखे। प्रस्ताव में गोशालाओं के लिए मिलने वाली राशि और मानदेय में वृदिध करने की भी तैयारी है। जानकारी के अनुसार प्रस्ताव में संबंधित एजेंसियों की जिम्मेदारी तय करने के साथ सरकार सामाजिक संस्थाओं का सहयोग भी लेगी। विभाग के अधिकारी गौ-शाला संचालक, जनप्रतिनिधियों के साथ सामाजिक संगठनों की बैठक आयोजित कर इस संबंध में उनसे सुझाव लेंगे। मुख्यमंत्री के निर्देश हैं कि पशुपालन विभाग इसी महीने बैठक आयोजित करे।
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