बस्तर के महान सपूत स्व. दादा बलिराम कश्यप की आज जयन्ती है। इस अवसर पर अविभिाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद स्व. दादा बलिराम कश्यप जी को सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। दादा बलिराम कश्यप बस्तर का पर्याय थे उन्होने जीवनपर्यन्त बस्तर की सेवा की.

शिक्षक के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले स्व बलिराम कश्यप जी इस बात को भलिभांति समझते थे कि आदिवासी समाज में परिवर्तन केवल शिक्षा के माध्यम से ही सम्भव है और इस कारण उन्होंने जब अपने सार्वजनिक जीवन में राजनिति की दिशा में पदार्पण किया तो उनकी सबसे पहली प्राथमिकता समाज में शिक्षा का प्रचार प्रसार रहा। उनके विधायक और मंत्रीत्व कार्यकाल में बस्तर संभाग में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा दोनों को ही बढ़ावा मिला। आज हमें बस्तर का विकास जो कुछ भी दिखता है,उसकी बुनियाद में दादा बलिराम कश्यप जी का संकल्प ही है.

स्व. बलिराम कश्यप जी लोकप्रिय जनप्रतिनिधी थे आम जनता से उनका सीधा सम्बन्ध और संवाद हुआ करता था। वे औपचारिकताओं से परेय थे,उनकी सादगी सरलता सबको प्रभावित करती थी। उनके व्यक्तित्व का दूसरा पक्ष यह भी था कि वे स्पष्टवादी थे। किसी भी विषय मेंअपनी बात और अपना पक्ष पूरी निर्भिकता और निष्पक्षता के साथ रखते थे। उनकी यही स्पष्टवादिता उन्हें अन्य राजनेताओं से भिन्न पहचान देती थी.

अपने राजनैतिक जीवन में सदा उन्होंने सदाचार को स्थान दिया बस्तर के भोले-भाले आदिवासियों, वनवासियों के हित के लिए संघर्ष ही उनके जीवन का सारांश है। बस्तर की सिंचाई व्यवस्था के लिए कोसारटेड़ा बांध का निर्माण उनकी महत्वकांक्षी परिकल्पना का जीवन्त उदाहरण है। उनका मानना था कि बस्तर सक्षम और समृद्ध तभी बन पाएगा, जब बस्तर का आदिवासी आत्मसम्मान के साथ स्वयं को वर्तमान के विकास की दौड़ में शामिल होगा। शासकीय सेवा के साथ-साथ व्यापार व्यवसाय में भी आदिवासी आगे बढ़ें, यह उनकी हार्दिक अभिलाषा रही है। उन्होंने आदिवासी समाज की कुछ कुरितियों का भी विरोध किया.

विशेष कर शराब और मुर्गा लड़ाई जैसी परम्पराओं को वे समाज के लिए उचित नहीं मानते थे। दादा बलिराम कश्यप जी की जयन्ती अवसर पर मेरा यह मानना है कि दादा की भौतिक देह भले ही हमारे सामने नहीं है, परन्तु उनके विचार,
सिद्धान्त और आदर्श आज भी जीवन्त हैं और कल भी जीवन्त रहेंगे। आवश्यकता इस बात की है कि समाज उनसे प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों और सिद्धांतों का अनुशरण कर देश को समृद्धि और मजबूत बनाने में ईमानदारी के साथ अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें.

लेखक – संदीप अखिल सलाहकार संपादक ( लल्लूराम डॉट कॉम )