देश के कई हिस्सों में होली की धूम शुरू हो गई है. ब्रजमंडल में रंगोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. यहां पूरे फागुन होली का उल्लास रहता है. मंगलवार शाम बरसाना के राधा रानी मंदिर में फागुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर परंपरागत लट्ठामार होली (Lathmar Holi) खेली गई. मुख्य मंदिर की सीढ़ियों के सामने यह आयोजन किया गया, जिसमें शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु बरसाना पहुंचे. इस दौरान पूरा बरसाना रंगो से पट गया.
बरसाना की लट्ठमार होली (Lathmar Holi) का आयोजन शाम 5 बजे से राधा रानी मंदिर की सीढ़ियों के सामने हुआ. दोपहर से ही छोटे से कस्बे बरसाना की गलियों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हो गई. बरसाना में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग छतों से इस श्रद्धालुओं के रेले को देख रहे थे और ऊपर से गुलाल, पिचकारी के साथ श्रीराधे का स्वर भी बरसा रहे थे. परंपरा के अनुसार अपनी-अपनी ढाल लेकर बरसाना से 8 किलोमीटर दूर नंदगांव के ग्वाले (होरियार) युवा बरसाना पहुंचे.
यहां शाम 5 बजे के बाद प्राचीन राधा रानी मंदिर की सीढ़ियों के सामने जुटे होरियारों के ढाल पर सोलह श्रृंगार में सजी महिलाओं ने जमकर लाठियां बरसाईं. इस दौरान हंसी-ठिठोली का वातावरण रहा और चारों तरफ श्रीराधे की गूंज सुनाई दी. ऐसी मान्यता है कि लट्ठमार होली की ये परंपरा भगवान कृष्ण और राधा के समय से ही चली आ रही है. श्रीकृष्ण के गांव नंदगांव से होरियारे राधा रानी के गांव बरसाना पहुंचते थे और राधा और उनकी सहेलियों के साथ होली खेलते थे, वे उनके हुड़दंग से तंग आकर लाठियों से उनका स्वागत करतीं थीं.
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