शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में अब लव जिहाद करने वाले और धर्म परिवर्तन कराने वालों की खैर नहीं। प्रदेश में सोमवार से लव जिहाद और धर्म स्वतंत्रता कानून के रुप में अस्तित्व में आ गया है। दोनों ही विधेयक को आज विधानसभा में पेश किया गया। जहां पक्ष-विपक्ष के बीच हुई चर्चा के बाद दोनों को पारित कर दिया गया।

इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2021 और लव जिहाद विधानसभा में किया पेश। लव जिहाद कानून पर डॉक्टर गोविंद सिंह से चर्चा शुरू हुई। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लाने का कोई औचित्य नहीं था।

धर्म स्वातन्त्र्य विधयेक पर ग्रहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हमने जो बोला वो किया। हमने 370 हटाने की बात कही वो हटाई, हमने ट्रिपल तलाक पर कानून लाने की बात कही वो हम लाए। भय और भ्रम की स्थिति बनाई जा रही है। कांग्रेस तुस्टीकरण की राजनीति करती है। जिन लोगों ने कहा कि देश के टुकड़े करेगे उससे मिलने सबसे पहले राहुल गांधी गए। उन्होंने कहा कि कितने अफजल मारोगे हर घर से अफजल निकलेगा तो हमने कहा हम उस घर को मारेंगे जिस घर से अफजल निकलेगा। विधयेक में एक वर्ग को टारगेट नही किया जा रहा विपक्ष भ्रम फैलाने का काम कर रही है।

दोनों पक्षों में चर्चा के बाद विधेयक को पारित कर दिया गया। आपको बता दें धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को शिवराज कैबिनेट ने पहले ही अधिनियम के जरिए लागू कर दिया था।

धर्म स्वतंत्रता कानून की ये है प्रमुख बातें

▪️प्रलोभन, धमकी, कपट, षड़यंत्र से या धर्म छिपाकर विवाह किया तो विवाह शून्य होगा।
▪️ कानून के प्रावधानों के विरुद्ध धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल का कारावास होगा।
▪️ कानून के प्रावधानों के खिलाफ महिला, नाबालिग, SC-ST के धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना।
▪️ अपना धर्म छिपाकर कानून के प्रावधानों के खिलाफ धर्म परिवर्तन करने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा व ₹50000 जुर्माने का प्रावधान।
▪️ दो या दो से अधिक लोगों का एक ही समय में धर्म परिवर्तन पर कम से कम 5 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और कम से कम 1 लाख रुपए के अर्थदंड का प्रावधान।
▪️एक से अधिक बार कानून का उल्लंघन पर 5 से 10 साल की सजा का प्रावधान।
▪️कानून के दायरे में आने के बाद विवाह शून्य घोषित करने का प्रावधान।
▪️पैतृक धर्म में वापसी को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
▪️धर्म परिवर्तन करने पर परिजन की शिकायत को कानून में किया गया है जरूरी।
▪इस अधिनियम में दर्ज अपराध संज्ञेय और गैरजमानती होगा। सेशन कोर्ट में होगी सुनवाई।
▪️सब इंस्पेक्टर से नीचे का पुलिस कर्मी इसे कानून के तहत दर्ज मामले की जांच नहीं करेगा।
▪️निर्दोष होने के सबूत पेश करने की बाध्यता अभियुक्त पर रखी गयी है।
▪️परिवार न्यायालय में होगा विवाह शून्य करने का फैसला।
▪️अपराध में पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण हासिल करने का अधिकार होगा।
▪️ पैदा हुए बच्चे को अपने पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में दावा करने की स्वतंत्रता होगी।
▪️ अधिनियम के तहत दर्ज मामले में धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्थाएं और लोग भी आरोपी के बराबर कार्यवाही के दायरे में आएंगे। ऐसी संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द होगा।
▪️ धर्म परिवर्तन कराने के पहले कलेक्टर को 2 महीने पहले सूचना देना होगा जरूरी। सूचना नहीं देने पर 3 से 5 साल तक की सजा और ₹50000 जुर्माने का प्रावधान।
▪️2020 का अधिनियम के बाद 1968 का मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्र अधिनियम खत्म माना जाएगा।