महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की वरिष्ठ वकील मालती पवार की एस्प्लेनेड कोर्ट में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। वह मुंबई की फैमिली कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करती थीं। बताया जा रहा है कि वह कोर्ट के बार रूम में बैठी थीं जब अचानक सीने में दर्द महसूस हुआ। उन्होंने अपने पति रमेश पवार को फोन करके बताया कि तबीयत ठीक नहीं है और कुछ देर आराम करना चाहती हैं। लेकिन कुछ ही देर बाद वह बेहोश होकर गिर पड़ीं।
इसके बाद मालती पवार को तुरंत कामा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटनाक्रम का सबसे बुरा पहलू यह रहा कि इस दौरान किसी ने भी महिला वकील की मदद नही की।
पति ने कहा- सही समय पर मदद मिलती तो बच जाती जान
उनके पति रमेश पवार का आरोप है कि अगर समय पर मदद मिल जाती तो उनकी पत्नी की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने कहा, “किसी ने मेरी पत्नी को CPR तक नहीं दिया न ही पास के जीटी अस्पताल ले जाने की कोशिश की। कई लोग तो मोबाइल निकालकर वीडियो बना रहे थे।” इस घटना के बाद कोर्ट में आपातकालीन सुविधाओं की कमी पर सवाल उठ गए हैं। वकील सुनील पांडे ने एस्प्लेनेड कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रट को पत्र लिखकर मांग की है कि अदालतों में फर्स्ट एड, मेडिकल टीम और CPR ट्रेनिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
वकील ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
उन्होंने कहा कि रोज सैकड़ों वकील, जिनमें वरिष्ठ और बुजुर्ग भी शामिल हैं अदालतों में आते हैं, फिर भी कहीं डॉक्टर या प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा नहीं है। पांडे ने सुझाव दिया है कि सभी अदालत परिसरों में एंबुलेंस, CPR ट्रेनिंग और ऑटोमेटेड डिफिब्रिलेटर (AED) जैसी सुविधाएं तुरंत शुरू की जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
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