कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्य प्रदेश में वकील अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है. मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद (Madhya Pradesh State Advocate Council) ने कड़ा निर्णय लिया है कि कल से प्रदेश के सभी वकील न्यायालयीन कामों से अलग रहकर हड़ताल (lawyers strike) करेंगे. वकीलों का विरोध 25 चिह्नित प्रकरणों को तीन माह की समयसीमा में निराकृत करने के आदेश को लेकर है.

स्टेट बार काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम सिंह भदौरिया के मुताबिक वर्तमान में पूरे मध्यप्रदेश में 25 प्रकरणों को लेकर हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया है. उसका पूरे प्रदेश में विरोध हो रहा है, क्योंकि यह आदेश व्यवहारिक नहीं है. इससे वकीलों को मानसिक दबाब के दौर से गुजरना पड़ रहा है. इस वजह से मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद 23 मार्च से 25 मार्च प्रदेश के आव्हान पर सभी वकील हड़ताल (lawyers strike) पर रहेंगे. यदि आदेश वापिस नहीं हुआ, तो 26 मार्च को फिर से बैठक बुलाई जाएंगी. जिसमें आगे की रणनीति तय होगी.

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आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में निचली अदालतों में वर्षों से लाखों की संख्या में मुकदमें लंबित हैं. MP हाईकोर्ट के इस आदेश के पीछे यही मंशा थी कि 5 साल पुराने प्रकरणों का निराकरण करके लंबित मुकदमों की संख्या कम की जाए, लेकिन अब वकील इस आदेश को व्यवहारिक नहीं मान रहे हैं. उनका कहना है कि किसी भी केस की सुनवाई के लिए कागजी खानापूर्ति में वक्त लगता है. अचानक से समय सीमा में बांधकर मुकदमे का निराकरण करना पक्षकारों के लिए नुकसानदायक हो सकता है.

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