हाईकोर्ट द्वारा 3 महीने के भीतर 25 केस निपटाने के आदेश के खिलाफ राज्य अधिवक्ता परिषद ने मोर्चा खोल दिया है। आज से 23 से 25 मार्च तक वकील हड़ताल पर चले गए हैं। वकीलों का विरोध 25 चिह्नित प्रकरणों को तीन माह की समयसीमा में निराकृत करने के आदेश को लेकर है।
कर्ण मिश्रा/कुमार इंदर. ग्वालियर/जबलपुर। मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद के आव्हान पर आज से प्रदेशभर के 92 हजार से ज्यादा वकील हड़ताल पर चले गए है। वकील तीन दिन न्यायालीन काम से विरत रहेगें। परिषद के अध्यक्ष प्रेम सिंह भदौरिया के मुताबिक वर्तमान में पूरे मध्यप्रदेश में चिन्हित 25 प्रकरणों के निपटान को लेकर हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है। उसका प्रदेशभर में विरोध हो रहा है। यही वजह है कि मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद की अगुवाई में 23 से 25 मार्च तक प्रदेश के सभी वकील हड़ताल पर चले गए हैं। यदि इन दिनों में हाईकोर्ट अपने इस फैसले को वापस नहीं लेता है तो स्टेट बार काउंसिल 26 मार्च को फिर से बैठक करेगी जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
बता दें कि मध्य प्रदेश में निचली अदालतों में वर्षों से लाखों की संख्या में मुकदमें लंबित हैं। प्रदेश भर में पेंडिंग केसों की संख्या 19 लाख 78 हजार के करीब है। अकेले ग्वालियर में 76901 मामले लंबित है, ऐसे में हाईकोर्ट की इस आदेश के पीछे यही मंशा थी कि पुराने प्रकरणों का निराकरण करके लंबित मुकदमों की संख्या कम की जाए, लेकिन वकील इस आदेश को व्यवहारिक नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि किसी भी केस की सुनवाई के लिए कागजी खानापूर्ति में वक्त लगता है। अचानक से समय सीमा में बांधकर मुकदमे का निराकरण करना पक्षकारों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आरके सिंह सैनी, अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन ने बताया कि राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने के बाद भी बात नहीं बनी है। तीन दिन की हड़ताल के बाद आगे रणनीति बनाई जाएगी।
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