दिल्ली. मस्तमौला नरेंद्रनाथ दुबे ‘अडिग’ इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उनका पर्चा खारिज हो गया है। उनके नामांकन पत्र में एक कालम भरा नहीं होने के कारण पर्चा निरस्त हुआ है।
हालांकि उनका दावा है कि हमने सभी कालम भरा था। उन्होंने कहा कि इसको लेकर चुनाव आयोग में जाएंगे। अडिग 1984 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं। वह पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक के चुनाव में उतर चुके हैं।
अडिग का चुनाव प्रचार करने का तरीका अनोखा रहा है। वह हमेशा शंख बजाते हुए अपना प्रचार करते रहे। वोट कितना मिलेगा इसकी कभी चिंता नहीं की, बस हर चुनाव में लड़ने के लोकतांत्रिक अधिकार का पालन करते रहे। चार दशक से लगातार हर चुनाव में उन्होंने अपनी मौजूदगी दर्ज करायी।
नगर निगम, विधानसभा, लोकसभा या फिर राष्ट्रपति पद का चुनाव हुआ, सबमें उन्होंने भागीदारी की। यह दीगर है कि मतदाताओं ने कभी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया और वह कभी कोई चुनाव नहीं जीते, लेकिन अपनी विशिष्ट प्रचार शैली के कारण वह लोगों में चर्चा का विषय जरूर बनते रहे।
इन चुनावों में अबतक अडिग 25 से 30 लाख रुपये भी खर्च कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि हर चुनाव में 1 से 2 लाख रुपये खर्च होते हैं। पर्चा खारिज होने से उनके समर्थक भी हैरान हैं। पेशे से वकील व साहित्य में रुचि रखने वाले अडिग ने कहा कि ऐसा पहली बार है हुआ कि मेरा पर्चा खारिज हो गया।