पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. जिले में इन दिनों किसान व्यस्त और नेता पस्त का नजारा देखने को मिल रहा है, खेती किसानी का समय चल रहा है और किसान इन दिनों अपनी फसल कटाई में व्यस्त है. वहीं चुनावी माहौल होने के कारण नेताओं से मिलने के लिए खेतों तक दौड़ लगानी पड़ रही है. ऐसा करने में नेताओं की हालत पस्त हो गई है.

दरअसल चुनाव और फसल कटाई एक ही समय में होने के कारण नेता और किसान बहुत परेशान है. नेताओं के लिए ये समय चुनाव प्रचार का है और किसानों के लिए फसल कटाई का है. नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार के लिए ताकत तो झोंक रखी है, मगर गरियाबंद जैसे ग्रामीण इलाके में नेताओं को इन दिनों गॉवों में पब्लिक नहीं मिल रही है. अपने प्रचार के लिए नेताओं को खेतों तक दौड़ लगानी पड़ रही है. 5822 वर्ग किमी में फैले गरियाबंद जिले की दोनों विधानसभाओं में 4,12060 मतदाता है, अधिकतर खेती किसानी पर निर्भर है और इन दिनों सभी खेती किसानी के कार्य में व्यस्त है. किसानों के लिए फसल ही उनकी सालभर की रोजी रोटी का जरिया है. ऐसे में ग्रामीण इलाके के कार्यकर्ता और आम जनता चाह कर भी चुनाव प्रचार में अपनी भागीदारी नहीं निभा पा रहे है.

नेताओं के लिए ये समय करो या मरो है

जिले की दोनों विधानसभा से 18 उम्मीदवार मैदान में है. राजिम विधानसभा से 12 उम्मीदवार अपनी किस्मत अजमा रहे है. वहीं बिन्द्रानवागढ विधानसभा से 6 उम्मीदवारों ने अपनी ताल ठोंक रखी है. सप्ताहभर पहले ही इनको उम्मीदवार घोषित किया गया है. 20 नवंबर को चुनाव होने है, इतने कम समय में पुरे विधानसभा के हर गांव गली मौहल्ले तक पहुंचना इनके लिए टेढी खीर साबित है रहा है. वहीं खेती किसानी का समय होने के कारण गांवों में लोग भी नहीं मिल रहे है. ऐसे में नेताओं को जनता से मिलने के लिए खेतों तक का सफर तय करना पड़ रहा है.

काफी दिलचस्प होगा चुनाव

नेता खेतों में जाकर किसानों से मिलने की भले ही अलग अनुभूति बता रहे हो, मगर खेती किसानी के समय चुनाव होने से राजनीतिक पार्टियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. बहरहाल देखना दिलचस्प होगा कि ऐसी कठिन परिस्थितियों में नेता किस तरह जनता को अपने पक्ष में करने में कामयाब होते है.