लक्षिका साहू, रायपुर। कचरे को आसानी से अलग किया जा सके इसके लिए शहरवासियों को गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग डस्टबिन में स्टोर करने के लिए कहा जाता है. जिससे कचरों के रीसाइक्लिंग का प्रोसेस आसान हो सके. इसके लिए राजधानी के घरों में ग्रीन और ब्लू कलर की डस्टबीन दी गई थी, लेकिन ये सिस्टम फेल हो गया, क्योंकि निगम बाल्टियों को हर घर नहीं पहुंचा सका. इस बीच नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने बड़ा डस्टबिन की खरीद में गड़बडी का दावा करते हुए महापौर ढेबर पर सवाल खड़े किए है.

दरअसल, नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने दावा किया है कि डस्टबीनों के लिए नगर निगम से 75 लाख रुपए की स्वीकृति हुई थी, जिसमें से 50 लाख रुपयों का भुगतान 1 साल पहले ही हो चुका है. लेकिन 50 लाख का डस्टबिन कहा है इसकी जानकारी किसी को नहीं है. मौजूदा अधिकारियों का कहना है कि डस्टबिन कुछ वार्डों में बांटे जा चुके है, लेकिन किसी भी वार्ड में क्या न नेता प्रतिपक्ष न ही महापौर के वार्ड में डस्टबीन का वितरण हुआ है.

महापौर को 50 लाख के भुगतान की खबर नहीं

नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने आरोप लगाते हुए कहा कि महापौर को इस बात की जानकारी नहीं थी कि 50 लाख डस्टबीन के लिए भुगतान किया जा चुका है. जब महापौर से ये सवाल किया गया तो उन्होंने इसकी जानकारी नहीं होने की बात कही और कहा कि कल तक इसकी जानकारी इकट्ठा करके बताया जाएगा.

नगर निगम की बैठक में होगी चर्चा – महापौर ढेबर

इस मामले पर महापौर एजाज़ ढेबर का कहना है कि टेंडर ख़रीदा जा चुका है लेकिन एमईसी की मीटिंग में मेरे द्वारा ये कहा गया की 2 लाख 40 हज़ार आइडेंटिफाइड घर है जिसके लिए डस्टबीन ख़रीदे जाने चाहिए. महापौर का कहना है कि आधे घरों में बांटने से बेहतर शहर के हर घर में एक साथ डस्टबिन का वितरण होना चाहिए. महापौर ढेबर ने इस मामले पर कल नगर निगम की बैठक में चर्चा करने की बात कही है, लेकिन 50 लाख के टेंडर से आए डस्बिन कहां है इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया.

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