रायपुर। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने छत्तीसगढ़ में आवंटित कोल ब्लॉक को भूपेश बघेल सरकार द्वारा खनन की अनुमति नहीं देने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सोनिया गांधी को तीसरी बार पत्र लिखे जाने पर कटाक्ष किया है. कौशिक ने कहा कि गहलोत यह समझ लें कि कमाऊ पूत की शिकायत कांग्रेस की राजमाता को सुनाई नहीं देती.
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि एक जमाने में अजीत जोगी की शिकायत दिल्ली दरबार की दीवारों से टकराकर लौट आती थी. अब भूपेश बघेल की किसी शिकायत पर कांग्रेस के राजप्रासाद में कोई सुनवाई नहीं है. जब छत्तीसगढ़ के टीएस सिंहदेव को बाबा मंडली ने बाबाजी बनाकर रख दिया हो और उनकी सुनवाई न हो रही हो तब गहलोत की क्या सुनवाई होगी. यदि गहलोत वह सब कुछ कर सकते हैं, जो भूपेश बघेल कर रहे हैं तो ही उनकी बात सुनी जा सकती है.
उन्होंने कहा कि अव्वल तो राजस्थान के मुख्यमंत्री को सोनिया गांधी से हस्तक्षेप की फरियाद करने की जगह उचित मंच पर अपने राज्य के हक की बात रखना चाहिए. देश के कोल ब्लॉक सोनिया गांधी या कांग्रेस की संपत्ति नहीं हैं, फिर वे बार-बार सोनिया गांधी से विनती क्यों कर रहे हैं कि वे तथाकथित छद्म न्याय वीर भूपेश बघेल की अड़ंगेबाजी रोककर राजस्थान की जनता को न्याय दिलाएं. गहलोत अपने राज्य का पक्ष प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री के सम्मुख रखें.
कौशिक ने कहा कि कांग्रेस के लोग आज भी इस मुगालते में हैं, जब देश के सारे फैसले एक परिवार के हाथ में होते थे. प्रधानमंत्री का ड्राफ्ट उनके सामने ही युवराज फाड़कर फेंक देते थे. कोई मंत्री मजबूरी में इस्तीफा देता था तो वह पीएम को नहीं बल्कि कांग्रेस की राजमाता को देता था. मां-बेटे की सरकार निबटे सात साल बीत गए हैं. अब तो गहलोत को संघीय व्यवस्था से सरोकार रखना सीख लेना चाहिए.
बता दें कि राजस्थान के बिजली संयंत्रों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से कोयला ब्लॉक की मंजूरी में देरी को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को तीसरी बार चिट्ठी लिखकर मदद की गुहार लगाई है. पत्र में लिखा है कि अगर सोनिया गांधी ने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया तो हालात गंभीर हो सकते हैं. साथ ही आशंका जताई कि इस देरी की वजह से राजस्थान में सरकार की बदनामी हो सकती है. यही नहीं प्रदेश में बिजली संकट खड़ा होने पर राज्य की सरकार के लिए भी संकट खड़ा हो सकता है.