मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ. समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद जो मुद्दा इन दिनों सर्वाधिक चर्चा में हैं वह यह कि यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा से त्याग पत्र दे दिया है। अब वह लोकसभा में बैठैगें। इसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली हो रही है, जिसे लेकर सदन में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी में अंदरखाने गुणा-गणित का दौर चल रहा है। आइए जानते हैं कि यूपी विधान सभा के इतिहास में कौन-कौन कद्दावर नेता विपक्ष के नेता की कुर्सी पर आसीन रह चुके हैं।

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सपा में शिवपाल यादव, रामअचल राजभर और इंद्रजीत सरोज का नाम सुर्खियों में हैं। लेकिन असली पैमाना यह होगा कि इनमें से कौन विधानसभा में पार्टी के मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाता है और प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को बनाए रखता है। इसे लेकर सपाई खेमे में मंथन का दौर जारी है।

छह मुख्यमंत्री रहे हैं नेता प्रतिपक्ष

उत्तर प्रदेश विधान सभा में अबतक छह मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। जिसमें कि चंद्रभानु गुप्ता, चौधरी चरण सिंह, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव का नाम शामिल है। इसके अलावा चौधरी खलीकुज्मा, त्रिलोकी सिंह, राजनारायण, कमलापति त्रिपाठी, आजम खान, लालजी टंडन, रेवती रमण सिंह, गयाचरण दिनकर, शिवपाल यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य और रामगोंविद चौधरी जैसे दिग्गज नेता प्रतिपक्ष की भूमिका कर चुके हैं।

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अखिलेश यादव की भूमिका

2022 में विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद अखिलेश यादव ने लोकसभा से त्याग पत्र देकर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने का फैसला किया था। तब उन्होंने आजमगढ़ संसदीय सीट से त्यागपत्र दिया था और समाजवादी पार्टी के विधायक दल की बैठक में अखिलेश यादव को नेता प्रतिपक्ष चुना गया था। बतौर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सदन में जनता से जुड़े अनेक मुद्दे उठाए और कई बार तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से आरोप-प्रत्यारोप निजी स्तर पर भी हो गया। अधिवक्ता उमेश पॉल की हत्या के बाद अतीक अहमद को लेकर अखिलेश यादव और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच गरमागरम नोंक झोंक चली थी।

सपाई खेमे के भीतर का मंथन

रामपुर में दर्ज मामलों के कारण सपा के नेता आजम खान विधानसभा से अयोग्य घोषित हो चुके हैं। योगी के पहले कार्यकाल में वह नेता प्रतिपक्ष की भूमिका करने वाले रामगोविंद चौधरी विधान सभा का चुनाव ही हार गए। छह बार के विधायक कटेहरी विधानसभा लालजी वर्मा अब सांसद बन चुके हैं। तो मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद अयोध्या सीट जीतकर सांसद बन चुके हैं। जिन्होंने कभी अखिलेश यादव का नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए प्रस्तावित किया था।

शिवपाल यादव हो सकते हैं नेता प्रतिपक्ष

छह बार विधायक रहे और लोक निर्माण विभाग के मंत्री रहे शिवपाल यादव मायावती के शासन काल में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। मायावती के शासन में सपा ने सदन से लेकर सडक़ तक संघर्ष किया था और उसके नेता शिवपाल यादव ही थे। वह कुशल संगठनकर्ता भी है और सदन में दमदारी से पार्टी की आवाज भी उठाते रहे हैं। मायावती शासन के दौरान उन्होंने पुलिसिया उत्पीडऩ को लेकर सरकार पर खूब हमला बोला था। हालांकि परिवारवाद की तोहमत के बावजूद अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दे सकते हैं। चर्चा यह भी है कि नेता प्रतिपक्ष पीडीए के फार्मूले के तहत ही चुना जाएगा।

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