EPFO की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की अहम बैठक में भविष्य निधि से जुड़ी कई नीतियों में बड़ा बदलाव किया गया है. सबसे अहम फैसला यह रहा कि अब कर्मचारियों को अपने PF अकाउंट में कुल योगदान राशि का 25% हिस्सा हमेशा बनाए रखना होगा. यानी आप चाहें भी तो अकाउंट पूरी तरह खाली नहीं कर सकते. ये कदम रिटायरमेंट फंड को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के उद्देश्य से उठाया गया है. इस मिनिमम बैलेंस पर तय ब्याज मिलता रहेगा.

दूसरा बदलाव: पूरा पैसा निकालने के लिए अब लंबा इंतजार करना होगा

पहले जहां EPFO सदस्य 2 महीने की बेरोजगारी के बाद पूरा पैसा निकाल सकते थे, अब यह अवधि 12 महीने कर दी गई है. यानी अब नौकरी छूटने के बाद भी आपको सालभर इंतजार करना होगा. सिर्फ इतना ही नहीं – पूरी पेंशन राशि निकालने के लिए भी अब 36 महीने का वेटिंग पीरियड होगा, जो पहले सिर्फ 2 महीने था.

कहीं राहत, कहीं सख्ती : आंशिक निकासी के नियम आसान किए गए

अब एंप्लॉयी और एंप्लॉयर दोनों के हिस्से से मिलाकर पूरा पात्र बैलेंस आंशिक निकासी में मिल सकता है. आंशिक निकासी के लिए मिनिमम सर्विस की अवधि घटाकर 12 महीने कर दी गई है. 13 जटिल शर्तों को घटाकर 3 कैटेगरी में बांटा गया है.

  • जरूरी जरूरतें (शादी, शिक्षा, बीमारी)
  • आवासीय जरूरतें
  • विशेष परिस्थितियां

खास बात – अब विशेष परिस्थितियों में पैसे निकालने के लिए कारण बताने की जरूरत नहीं होगी, जो पहले कई क्लेम रिजेक्ट होने का कारण बनता था.

अन्य फैसले जो जानना जरूरी है

‘विश्वास योजना’ लागू – कॉन्ट्रीब्यूशन में देरी पर अब सिर्फ 1% प्रतिमाह पेनल्टी लगेगी. इससे पुराने पेंडिंग केस भी खत्म होंगे. EPS-95 पेंशनधारकों को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र अब घर पर मिलेगा, EPFO इसके लिए ₹50 फीस खुद भरेगा. EPF रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन सितंबर वेतन माह के लिए 22 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी गई है, जिससे नियोक्ताओं को नई ECR प्रणाली अपनाने का समय मिल सके.

क्या आपके लिए अच्छा है ये बदलाव?

  • अगर आप जल्दी-जल्दी PF निकालने की सोच रहे थे, तो अब रणनीति बदलनी होगी.
  • लेकिन अगर आप रिटायरमेंट तक निवेश बनाए रखना चाहते हैं, तो ये नियम लॉन्ग टर्म सेविंग के लिहाज से फायदेमंद हो सकते हैं.
  • कुछ मामलों में राहत जरूर दी गई है, लेकिन फंड को सुरक्षित रखने के लिए सरकार की मंशा अब ज्यादा स्पष्ट हो गई है.