रायपुर। वामपंथी पार्टियों ने मोदी सरकार के खिलाफ सप्ताहव्यापी विरोध कार्यक्रमों को आयोजित करने की घोषणा की है. नागरिकता कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और नागरिक रजिस्टर (एनआरपी-एनआरसी) के विरोध में किए जा रहे इस सात दिवसीय विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत एक जनवरी से होगी. इसका समापन 8 जनवरी को देशव्यापी मजदूर हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद के साथ होगा.
आंदोलन के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा और भाकपा (माले)-लिबरेशन द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में संयुक्त रूप से अभियान चलाते हुए धरना-प्रदर्शन, पुतला दहन, सभाओं का आयोजन किया जाएगा. माकपा के संजय पराते, भाकपा के आरडीसीपी राव और भाकपा (माले) के बृजेन्द्र तिवारी ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर आरोप लगाया कि केंद्र की संघ संचालित भाजपा सरकार हमारे देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के साथ आम जनता की नागरिकता को धार्मिक पहचान देना चाहती है, और इस उद्देश्य से नागरिकता रजिस्टर तैयार करने के पहले चरण के रूप में जनसंख्या रजिस्टर तैयार करना चाहती है, जो देश के संविधान द्वारा स्थापित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ हैं.
वामपंथी नेताओं ने कहा कि देश के 38 करोड़ लोगों, जिनमें से अधिकांश आदिवासी, दलित, अंतर्राज्यीय आप्रवासी और शरणार्थी हैं, के पास अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए कोई भी कागज नहीं है. भाजपा सरकार उन्हें स्थायी रूप से नजरबंदी शिविरों में भेजने की योजना बना रही है. वाम नेताओं ने ऐसी नागरिकता नीति के खिलाफ हो रहे आंदोलनों पर बर्बर दमन और पुलिसिया हमलों की भी तीखी निंदा की है. तीनों वामपंथी पार्टियों ने मजदूर-किसान और कई सामाजिक संगठनों द्वारा 8 जनवरी को प्रस्तावित मजदूर-किसान हड़ताल और ग्रामीण बंद के आह्वान के साथ एकजुटता व्यक्त की है.