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रायपुर। देश मे फैलती मंदी, गिरती अर्थव्यवस्था और आम जनता की बदहाली के खिलाफ वामपंथी पार्टियों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ में भी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भाकपा (माले)-लिबरेशन मिलकर संयुक्त अभियान चलाएगी. 10 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में पार्टी द्वारा आंदोलन किया जाएगा और 16 अक्टूबर को रायपुर में राज्य स्तरीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा.
वामपंथी पार्टियों की एक बैठक में उक्ताशय का फैसला किया गया। बैठक में माकपा के संजय पराते, धर्मराज महापात्र, भाकपा के आरडीसीपी राव और भाकपा (माले)-लिबरेशन के नरोत्तम शर्मा शामिल थे।
बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में इन वामपंथी पार्टियों के नेताओं ने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी और एफडीआई के दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं। देश मे जीडीपी की दर में भारी गिरावट आने से स्पष्ट है कि उद्योग-धंधे और खेती-किसानी दोनों चौपट हो गए हैं, जिससे पिछले ढाई सालों में ही चार करोड़ लोग अकल्पनीय ढंग से बेरोजगार हो गए हैं। आम जनता की क्रयशक्ति में गिरावट आना ही इस मंदी का मुख्य कारण हैं।
उन्होंने कहा कि मंदी से निपटने के नाम पर इस सरकार ने कॉर्पोरेटों और धनी तबकों को करों में छूट के रूप में जो बेल-आउट पैकेज दिया है, उससे एक सप्ताह में ही उनकी तिजोरी में 13 लाख करोड़ रुपये जमा हो गए हैं, जबकि जरूरत सार्वजनिक कल्याण कार्यों में निवेश के जरिये रोजगार पैदा करके मांग बढ़ाने की थी। इसके उलट वह निजीकरण-विनिवेशीकरण की ऐसी नीतियां लाद रही है, जिससे बेरोजगारी और आर्थिक असमानता में और वृद्धि होगी और आम जनता के जीवन-स्तर में गिरावट आएगी।
वाम नेताओं ने बताया कि सरकारी खर्चों में बढ़ोतरी करने, सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा करने, रोजगार पैदा करने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खेती-किसानी की हालत सुधारने, किसानों को कर्जमुक्त करने, लागत के डेढ़ गुना मूल्य पर उनकी फसल खरीदने, मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने व न्यूनतम वेतन-मजदूरी 18000 रुपये मासिक करने आदि मांगों पर कल से गांव-शहरों-मोहल्लों में बड़े पैमाने पर मजदूरों-किसानों व अन्य तबकों को लामबंद करने अभियान चलाया जाएगा।