रायपुर। छत्तीसगढ़ के किसानों की समस्याओं को निपटा पाने में भाजपा, कांग्रेस सहित समस्त विधायकों और मंत्रियों की असफलता साबित हो चुकी है । विधानसभा सत्र को समय से पूर्व अवसान कर देने के निर्णय से यह भी प्रमाणित हो गया कि भाजपा सरकार किसानों के साथ किये अपने संकल्पों और उनकी मांगों को पूरा नही करना चाहती है। स्पष्ट है कि किसानों की समस्याओं को लेकर कोई भी राजनीतिक दल गंभीर नहीं है। यह कहना है छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल के सदस्य संकेत ठाकुर का।
उन्होंने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही को शोरगुल में तब्दील कर किसान हित में कोई भी निर्णय नहीं ले पाने के कारण अब समस्त विधायक जनप्रतिनिधि बने रहने का अधिकार खो चुके है। कि 9 अगस्त से 75 वर्ष पूर्व हुए ऐतिहासिक “अंग्रेजों भारत छोड़ो” की तर्ज पर “विधायको कुर्सी छोड़ो” आंदोलन की शुरुआत की जाएगी ।
लगभग दो महीनों से आंदोलनरत किसानों की समस्याओं को लेकर किसान महासंघ ने चक्काजाम, धरना से लेक्ट भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के विधायकों का घेराव किया था । सत्ता पक्ष के दो मंत्रियों से मुलाकात की और विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से भी मुलाकात की ।
अंततः इन सब से मुलाकात का कोई नतीजा निकलता नहीं दिखाई देता उलटे कृषि मंत्री द्वारा किसानों की दान में दी गई जमीन पर रिसोर्ट बनाने का मामला सामने आया, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसे भ्रष्ट कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मंत्रिमंडल ने बचाए रखने की खातिर विधानसभा में चर्चा भी नहीं होने दिया।
दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पर भी किसानों की जमीन पर कब्जा करने के मामले में एफआईआर दर्ज हो चुका है। जाहिर है कि किसान को न्याय इन दोनों राजनीतिक दलों से नहीं मिल सकता । छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को तीव्र करेगा ताकि किसानो की मांगों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार या तो मजबूर हो जाए या कुर्सी छोड़ दे ।
9 अगस्त को 28 किसान संगठनों के सदस्य राजधानी रायपुर में बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल पर एकत्रित होंगे और वहां से विधायकों कुर्सी छोड़ो के नारे के साथ राजभवन कूच करेंगे जहां राज्यपाल से मिलकर विधायकों को बर्ख़ास्त करने की मांग करेंगे ।