Sonam Wangchuk: लेह हिंसा (Leh violence) में एनएसए के तहत गिरफ्तार (10 दिन से जेल में बंद) सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का जेल से पहला संदेश आया है। लद्दाख के प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक ने जोधपुर सेंट्रल जेल से पहली बार संदेश भेजा है। वांगचुक ने अपने बड़े भाई त्सेतन दोरजे ले और वकील मुस्तफा हाजी के जरिए पैगाम दिया है। अपने संदेश में उन्होंने लेह हिंसा को लेकर डिमांड रखी है। साथ ही अपनी हेल्थ पर भी अपडेट दिया है।
वांगचुक ने अपने संदेश में कहा कि मैं शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह ठीक हूं। सभी की चिंताओं और प्रार्थनाओं के लिए दिल से धन्यवाद देता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि लेह हिंसा में मारे गए चार लोगों के परिवारों के प्रति उनकी संवेदनाएं हैं और उन्होंने स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। जब तक जांच पूरी नहीं होती मैं जेल में रहने को तैयार हूं। छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की संवैधानिक मांग सही है।
वांगचुक ने अपने संदेश में स्पष्ट किया कि वह लद्दाख के लोगों की संवैधानिक मांगों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि मैं छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा पाने की हमारी वास्तविक संवैधानिक मांग में कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) और लद्दाख के लोगों के साथ दृढ़ता से खड़ा हूं, जो भी कदम लद्दाख के सर्वोच्च निकाय लेंगे. मैं तहे दिल से उनका समर्थन करूंगा। सोनम वांगचुक, जो लंबे समय से लद्दाख में पर्यावरणीय संतुलन, जल संरक्षण और स्थानीय स्वशासन के मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं. उन्होंने अपने बयान में इस आंदोलन को अहिंसा और गांधीवादी मार्ग से आगे बढ़ाने की अपील की। मैं लोगों से शांति, एकता और अहिंसा के सच्चे गाँधीवादी तरीके से संघर्ष जारी रखने की अपील करता हूं।
लद्दाख में शांति और संवाद की उम्मीद
वांगचुक के संदेश ने लद्दाख में चल रहे तनावपूर्ण माहौल में एक संतुलित और शांति का संदेश दिया है। स्थानीय संगठनों ने भी हिंसा से दूर रहकर संवाद की प्रक्रिया बहाल करने की अपील की है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता फिर शुरू होगी।
लेह हिंसा और NSA के तहत हिरासत
बता दें कि 26 सितंबर 2025 को लेह में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल हुए थे। इसके बाद प्रशासन ने सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में ले लिया था और उन्हें राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया था। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। यदि यह माना जाए कि उसकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। सरकार का दावा है कि कुछ नेताओं ने युवाओं को भड़काया था, जिसके कारण स्थिति हिंसक हुई.वहीं, कई संगठनों ने वांगचुक की गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई
सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें NSA के तहत उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है। इस याचिका पर सोमवार (6 अक्टूबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार यह मामला न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की सीमा और उसके दुरुपयोग पर सवाल उठाता है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे पर भी बहस को जन्म देगा।
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