नई दिल्ली. विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में दिल्ली के प्रदूषण को लेकर सामने आई जानकारी के बाद उपराज्यपाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर निशाना साधा.
वहीं, दिल्ली सरकार ने भी इस मामले में पलटवार करते हुए कहा कि हम प्रदूषण के मुद्दे पर गंभीर हैं. पत्र में उपराज्यपाल ने लिखा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने में नाकाम रही है, जिसके चलते लोग बीमारी का शिकार हो रहे हैं. दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए मुख्यमंत्री को उचित कदम उठाने के लिए कहा. एलजी ने लिखा, यह बेहद शर्मनाक है कि दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी में दिल्ली शामिल है.
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2023 में पीएम 2.5 के स्तर को लेकर भी चिंता जताई गई. उपराज्यपाल ने पत्र में लिखा, प्रदूषण में बड़ा हिस्सा गाड़ियों से निकलने वाला धुआं है. इसके अलावा सड़क की धूल और खुले में जलाने की घटनाएं भी प्रदूषण बढ़ाती हैं. इसकी वजह से न केवल लोग बीमार हो रहे हैं, बल्कि समय से पहले मर रहे हैं. यह जीने के अधिकार को छीन रहा है.
सबसे प्रदूषित यमुना के लिए भी जाना जाता है : उपराज्यपाल ने लिखा, राजनीतिक नेतृत्व की इच्छा से लंदन और बीजिंग में प्रदूषण खत्म हुआ है. दिल्ली में वैज्ञानिकों और संस्थानों की कमी नहीं है, लेकिन प्रदूषण को लेकर गंभीरता की कमी है. दिल्ली को दुनिया में प्रदूषण के लिए जाना जा रहा है. सबसे प्रदूषित यमुना के लिए भी दिल्ली को जाना जाता है. इसके साथ ही कूड़े के पहाड़ लगातार लोगों की परेशानी बढ़ा रहे हैं.
‘भाजपा शासित राज्यों का हाल नहीं दिखता ’
एलजी के पत्र पर दिल्ली सरकार ने पलटवार करते हुए कहा है कि हम इसके समाधान को लेकर अथक प्रयास कर रहे हैं. दिल्ली में हर 40 किलोमीटर पर एक वायु गुणवत्ता सुचकांक निगरानी केंद्र स्थापित किया है. दिल्ली के सभी 1800 उद्योगों ने पीएनजी ईधन का प्रयोग शुरू हुआ है. इसके अलावा दिल्ली में हरित क्षेत्र 23.6 फीसदी तक पहुंच गया है. आप ने पूछा कि भाजपा शासन वाले हरियाणा में, उत्तर प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है, लेकिन वहां किसी एलजी ने पत्र लिखकर सवाल जवाब नहीं किया.