भारतीय शेयर बाजार के लिए 7 अक्टूबर की सुबह एक नई हलचल लेकर आई. दक्षिण कोरिया की जानी-मानी कंपनी LG Electronics India Limited का Initial Public Offering (IPO) आज से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है. यह सिर्फ एक ऑफर नहीं, बल्कि भारतीय बाजार में विदेशी निवेश की नई परीक्षा है. IPO का यह इश्यू 9 अक्टूबर तक निवेशकों के लिए खुला रहेगा, और इसे लेकर रिटेल इन्वेस्टर्स से लेकर बड़े संस्थागत खिलाड़ियों तक सबकी निगाहें इस डील पर हैं.

IPO का ब्लूप्रिंट: कौन बेच रहा है, कौन खरीद रहा है?
LG इलेक्ट्रॉनिक्स की भारतीय यूनिट इस इश्यू में कोई फ्रेश शेयर जारी नहीं कर रही है. बल्कि कंपनी के मौजूदा निवेशक कुल 10.18 करोड़ शेयर बेच रहे हैं, जिसकी कुल वैल्यू करीब ₹15,000 करोड़ है. यह कंपनी की 15% हिस्सेदारी होगी — यानी पहली बार LG इंडिया की इक्विटी का एक बड़ा हिस्सा पब्लिक मार्केट में उतर रहा है. यह कदम केवल एक IPO नहीं, बल्कि कंपनी के उस आत्मविश्वास का संकेत है जो उसने भारत के उपभोक्ता बाजार में दो दशकों की मजबूत उपस्थिति के बाद पाया है.
प्राइस बैंड और बोली लगाने की डिटेल
LG इलेक्ट्रॉनिक्स ने IPO का प्राइस बैंड ₹1080 से ₹1140 प्रति शेयर तय किया है. रिटेल निवेशक कम से कम एक लॉट, यानी 13 शेयरों के लिए आवेदन कर सकते हैं. यदि कोई निवेशक अपर प्राइस बैंड ₹1140 पर आवेदन करता है, तो उसे एक लॉट के लिए ₹14,820 का निवेश करना होगा. वहीं, अधिकतम आवेदन 13 लॉट (169 शेयर) तक किया जा सकता है, जिसके लिए ₹1,92,660 रुपए तक इन्वेस्ट करने होंगे.
अलॉटमेंट की गणित: किसे कितना मिलेगा?
कंपनी ने अलॉटमेंट का फॉर्मूला भी सटीक रखा है —50% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए, 35% हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए,और शेष 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व रखा गया है. इस संतुलन से संकेत मिलता है कि कंपनी चाहती है कि छोटे निवेशक भी इस ग्रोथ स्टोरी में हिस्सेदार बनें.
कंपनी की प्रोफाइल: सिर्फ एक ब्रांड नहीं, एक भरोसा
LG Electronics India की पहचान केवल वॉशिंग मशीन या टीवी ब्रांड भर नहीं है. यह कंपनी भारत में B2C और B2B दोनों सेगमेंट में मजबूत मौजूदगी रखती है. इसके उत्पाद — रेफ्रिजरेटर, LED टीवी, वॉशिंग मशीन, इन्वर्टर, एयर कंडीशनर और माइक्रोवेव ओवन — देश के हर दूसरे घर में पहुंच चुके हैं. कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स नोएडा और पुणे में स्थित हैं, जो भारत में ‘मेक इन इंडिया’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान मानी जाती हैं.
कंपनी का सफर और वित्तीय सेहत
LG इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत 1958 में दक्षिण कोरिया में गोल्डस्टार के नाम से हुई थी. भारत में इसका प्रवेश जनवरी 1997 में हुआ, और तब से यह भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार की अग्रणी कंपनियों में गिनी जाती है. जून 2025 तक कंपनी का रेवेन्यू ₹6,337 करोड़ रहा, जबकि इस अवधि में ₹513 करोड़ का प्रॉफिट दर्ज किया गया. आज कंपनी के पास 2,300 से अधिक कर्मचारी हैं और इसका वितरण नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है.
हुंडई के बाद अब LG की बारी?
पिछले साल हुंडई मोटर्स इंडिया के IPO ने बाजार में जबरदस्त चर्चा बटोरी थी. अब वही उत्साह LG इलेक्ट्रॉनिक्स के चारों ओर देखा जा रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह इश्यू भारत में दक्षिण कोरियाई निवेश के अगले चरण की शुरुआत हो सकता है. बाजार के भीतर चर्चा यह भी है कि इस लिस्टिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के शेयरों में नई जान आ सकती है, खासकर जब त्योहारी सीज़न की डिमांड अपने चरम पर है.
क्या करना चाहिए निवेशकों को?
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, कंपनी की मजबूत ब्रांड वैल्यू, स्थिर प्रॉफिट ग्रोथ और डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग इसे निवेश के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बनाते हैं. हालांकि, चूंकि यह एक ऑफर फॉर सेल (OFS) है, इसलिए कंपनी को IPO से सीधे पूंजी लाभ नहीं होगा — यह बात निवेशकों को ध्यान में रखनी चाहिए.
बाजार में नया करंट
LG Electronics का IPO केवल एक वित्तीय घटना नहीं, बल्कि भारत की कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री की प्रतिष्ठा का एक बड़ा परीक्षण है. अब देखना यह है कि 9 अक्टूबर तक यह ‘इलेक्ट्रॉनिक करंट’ कितने निवेशकों को अपनी ओर खींच पाता है, और जब लिस्टिंग डे आएगा — क्या यह इश्यू “पावरहाउस” बनकर उभरेगा या सिर्फ एक और चमकता नाम बन रह जाएगा.
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