नई दिल्ली . उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार द्वारा अदालतों, न्यायिक बुनियादी ढांचे, त्वरित न्याय और न्याय प्रशासन प्रणाली से संबंधित करीब 18 फाइलों और प्रस्तावों पर हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की है.

उन्होंने ऐसी सभी फाइलों को तीन दिन के भीतर निर्णय के लिए उनके पास प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. ये फाइलें छह महीने से दिल्ली सरकार के कानून मंत्री के पास लंबित हैं. राजनिवास के सूत्रों के मुताबिक, इन फाइलों में रोहिणी में जिला न्यायालय परिसर के निर्माण, राउज एवेन्यू कोर्ट में वकीलों के चेंबर, जिला अदालतों के लिए थिन-क्लिंट मशीनों की खरीद, फैमिली कोर्ट के लिए प्रिंटर, राज्य और कानूनी सेवा प्राधिकरण के गठन, आधिकारिक रिसीवर की नियुक्ति और दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों के भत्ते में वृद्धि आदि के प्रस्ताव शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक प्रमुख सचिव (कानून और न्याय) द्वारा चार दिसंबर को प्रस्तुत रिपोर्ट के बाद एलजी सचिवालय द्वारा एक पत्र प्रमुख सचिव (कानून और न्याय) को भेजा गया है. इस पत्र की एक प्रतिलिपि सीएम कार्यालय को भी भेजी गई है.

पिछले माह कानून मंत्री को पत्र लिखा था

सूत्रों के अनुसार, एलजी सचिवालय के संज्ञान में ऐसी 18 फाइलें आई थीं. 13 नवंबर को इन फाइलों पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए दिल्ली सरकार के कानून मंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला. जिसके बाद उप राज्यपाल सचिवालय ने गुरुवार को प्रधान सचिव (कानून और न्याय) को पत्र लिखकर आप सरकार द्वारा इन फाइलों को निपटाने में हुई अप्रत्याशित देरी और इससे न्यायिक प्रणाली की दक्षता और प्रभावशीलता के प्रभावित होने की बात कही.