नई दिल्ली: सीएम अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर 45 करोड़ रुपये खर्च हुए. यह रकम कोरोना काल के दौरान खर्च की गई. दिल्ली के उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन में हुई कथित अनियमितताओं से जुड़ी मीडियो रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव से 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास निर्माण से जुड़ा मामले में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने चीफ सेक्रेटरी से रिपोर्ट मांगी है. एलजी ने 15 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है. एलजी ने मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण से जुड़े सभी जरूरी दस्तावेजों को संभाल कर रखने के आदेश भी दिए हैं. इन फाइलों के आधार पर मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी विभाग में अधिकारियों और मंत्रियों की भूमिका की जांच करेंगे.
भाजपा ने केजरीवाल पर दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में स्थित सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर करीब 45 करोड़ रुपए खर्च किए जाने के आरोप लगाए थे. इन पैसों से केजरीवाल ने अपने बंगले में करोड़ों रुपए के पर्दे, कालीन, विदेशी संगमरमर और टीवी तक लगाए गए हैं. वहीं भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए आप के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने कहा था कि मुख्यमंत्री आवास 75 से 80 साल पहले 1942 में बनाया गया था. जिसके बाद लोक निर्माण विभाग की सिफारिश के बाद ही रेनोवेशन का काम किया गया था.
क्या है पूरा मामला
केजरीवाल पर कोरोना काल में सिविल लाइंस में 6 फ्लैगस्टाफ रोड पर स्थित उनके सरकारी आवास पर 45 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का आरोप है. दस्तावेजों के मुताबिक केजरीवाल ने अपने आवास में 11.30 करोड़ रुपए इंटीरियर डिजाइनिंग, 6.02 करोड़ रुपए पत्थर और मार्बल, 1 करोड़ रुपए इंटीरियर कंसल्टेंसी, 2.58 करोड़ रुपए बिजली फिटिंग, 1.41 करोड़ रुपए वार्डरोब और एक्स्ट्रा लगने वाले एसेसरीज फिटिंग, 1.1 करोड़ रुपए किचन उपकरणों और 2.85 करोड़ रुपए आग बुझाने के इंतजामों पर खर्च किए है.
मामले में इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या रिनोवेशन की अनुमति देने के लिए कुछ वित्तीय नियमों में बदलाव किया गया है और इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं?